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चुनाव से पहले अजित गुट को बड़ी राहत, बरकरार रहेगा घड़ी चुनाव चिह्न

Big relief to Ajit group before elections, clock election symbol will remain intact
ब्लिट्ज ब्यूरो

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले अजित पवार गुट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अजित पवार गुट घड़ी चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करता रहेगा। इसे रोकने के लिए एनसीपी (शरद पवार) ने दो अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने अजित गुट द्वारा घड़ी के इस्तेमाल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार को निर्देश दिया कि आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न का इस्तेमाल एक डिस्क्लेमर के साथ करे, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि इसका इस्तेमाल अदालत में विवाद का विषय है और शरद पवार द्वारा दायर याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन है। लोकसभा चुनावों से पहले 19 मार्च और 4 अप्रैल को कोर्ट ने एनसीपी को सभी प्रचार सामग्रियों में यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि ‘घड़ी’ चिह्न का इस्तेमाल न्यायालय के विचाराधीन है। अब कोर्ट ने अजित पवार को इस आशय का एक अंडरटेकिंग दाखिल करने का निर्देश दिया कि राज्य विधानसभा चुनावों के लिए भी पिछले आदेशों का पालन किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने अजित पवार गुट से 6 नवंबर तक नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी, ‘अगर हमें लगा है कि हमारे आदेश का जानबूझकर उल्लंघन किया जा रहा है, तो हम स्वतः संज्ञान लेकर अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं।’ शरद पवार ने निर्वाचन आयोग के छह फरवरी के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसके तहत अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को असली राकांपा के रूप में मान्यता दी गई थी।

आयोग ने राकांपा का ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न भी अजित पवार नीत गुट को आवंटित कर दिया था। 19 मार्च को शीर्ष अदालत ने शरद पवार गुट को अपने नाम के रूप में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी और उसे चुनाव चिह्न ‘तुरहा बजाता व्यक्ति’ आवंटित किया था।

उच्चतम न्यायालय ने शरद पवार गुट की उस याचिका पर यह आदेश पारित किया था, जिसमें अजित पवार गुट को चुनाव में ‘घड़ी’ चिह्न का इस्तेमाल करने से रोकने का अनुरोध किया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि अजित पवार गुट राजनीतिक लाभ के लिए शरद पवार के नाम और तस्वीर का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। शरद पवार ने कांग्रेस से निष्कासन के बाद 1999 में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पूर्णो संगमा और तारिक अनवर के साथ राकांपा की स्थापना की थी। जुलाई 2023 में अजित पवार ने राकांपा में बगावत कर दी थी और पार्टी के अधिकतर विधायकों के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे।

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