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एक साल में 9.6 लाख छोटे कारीगरों व शिल्पकारों ने निखारा अपना कौशल

9.6 lakh small artisans and craftsmen improved their skills in one year
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत एक साल में 9.6 लाख से अधिक पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों ने बाजार की मांग को देखते हुए खुद के कौशल को निखारा है। सरकार ने 2025 तक 18 ग्रेड के विभिन्न शिल्पकारों व कारीगरों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा है। ट्रेनिंग पाने वाले इन युवाओं को प्रतिदिन 500 रुपये का स्टाइपेंड और टूलकिट खरीदने के लिए 15000 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। खास बात यह है कि अभी तक इस योजना के तहत इन युवाओं ने 1400 करोड़ रुपये का लोन भी दिया गया है।

केंद्रीय कौशल व उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव अतुल तिवारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2023 में पीएम विश्वकर्मा योजना को लांच किया था। तब से अब तक विभिन्न 18 ट्रेड में 9,64,177 उम्मीदवारों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जबकि 20 लाख से अधिक लोग इस अभियान से जुड़ चुके हैं। इसके अलावा 625 जिलों के 21, 64, 036 लोगों के पास पीएम विश्वकर्मा की आईडी भी बन चुकी है।

स्टाइपेंड देकर ट्रेनिंग से जोड़ने पर फोकस
कारीगरों और शिल्पकारों को ट्रेनिंग से जोड़ने के लिए बाकायदा प्रतिदिन 500 रुपये स्टाइपेंड दिया जा रहा है। इसका मकसद उनकी दिहाड़ी भी उनको मिले और उनका कौशल विकास भी हो जाए। जरूरतमंद युवा बिना गारंटी के दो चरणों में पांच फीसदी ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का लोन भी ले सकते हैं।

इन 18 ट्रेड को पीएम विश्वकर्मा में जगह
सरकार ने पीएम विश्वकर्मा में बढ़ई (सुथार), नाव निर्माता, शस्त्रकार, लोहार, हथौड़ा और औजार निर्माता, ताला बनाने वाला सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तराशने और तोड़ने वाला, मोची (चर्मकार), राजमिस्त्री, टोकरी बनाने वाला, चटाई निर्माता, नारियल की जटा बुनने वाला, झाडू लगाने वाला, लुहार आदि को शामिल किया है।

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