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सेना की रक्षा क्षमता में मील का पत्थर साबित होगा ‘अकाडा’

'AKADA' will prove to be a milestone in the defense capability of the army
गुलशन वर्मा

नई दिल्ली। भारतीय सेना ने भारत में विकसित ऑटोमैटिक केमिकल एजेंट डिटेक्शन एंड अलार्म सिस्टम ‘अकाडा’ (एसीएडीए) की खरीद का फैसला लिया है। इसका उपयोग पर्यावरण से वायु का नमूना लेकर रासायनिक युद्ध के लिए उपयोग में लाए जाने वाले एजेंटों (सीडब्ल्यूए) और इसके लिए तैयार किए गए विषैले औद्योगिक रसायनों (टीआईसी) का पता लगाने में किया जाता है।

– रासायनिक युद्ध के कंटेंट का पता लगा कर बनेगा रक्षक
– 223 ऑटोमैटिक केमिकल एजेंट डिटेक्शन एंड अलार्म सिस्टम की होगी खरीद

एसीएडीए आयन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमेट्री (आईएमएस) के सिद्धांत पर काम करता है। इसमें हानिकारक एवं विषैले पदार्थ का निरंतर पता लगाने तथा निगरानी के लिए दो अत्यधिक संवेदनशील आयन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमेट्री (आईएमएस) सेल होते हैं। यह सिस्टम रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी विकिरण वाले पदार्थ और परमाणु हमलों से सुरक्षा के लिए उपयोगी है। स्वदेशी उपकरणों के उपयोग के लिए की गई भारतीय पहल की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। भारतीय और स्वदेशी खरीद श्रेणी के अंतर्गत 80.43 करोड़ रुपए की लागत से 223 ऑटोमैटिक केमिकल एजेंट डिटेक्शन एंड अलार्म सिस्टम की खरीद के लिए मैसर्स एल एंड टी लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। ये स्वदेश में ही डिजाइन, विकसित और निर्मित हैं। इस खरीद से एक ओर जहां भारतीय सेना की क्षमता और शक्ति में बढ़ोतरी होगी, वहीं दूसरी ओर भारत सरकार के आत्मनिर्भरता अभियान को काफी बढ़ावा मिलेगा। इस अनुबंध के तहत उपकरणों के 80 प्रतिशत से अधिक घटकों और उप-प्रणालियों की खरीद स्थानीय स्तर पर ही की जाएगी। ऑटोमैटिक केमिकल एजेंट डिटेक्शन एंड अलार्म सिस्टम को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, ग्वालियर ने डिजाइन और विकसित किया है। फील्ड यूनिटों में स्वचालित रासायनिक एजेंट पहचान और चेतावनी (एसीएडीए) प्रणाली को शामिल करने से इस क्षेत्र में भारतीय सेना की रक्षात्मक क्षमता में काफी वृद्धि होगी। साथ ही, शांति काल में, विशेष रूप से औद्योगिक दुर्घटनाओं से संबंधित आपदा राहत से जुड़ी परिस्थितियों में प्रतिक्रिया के लिए भी इनका उपयोग किया जा सकेगा।

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