ब्लिट्ज ब्यूरो
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली ने कहा कि न्याय सिर्फ होना ही नहीं बल्कि समझ में आना भी जरूरी है। इस दिशा में कोर्ट के लाखों फैसलों के हिंदी अनुवाद का लक्ष्य न केवल संख्या के लिहाज से बल्कि न्याय को आम नागरिक की भाषा में सुलभ कराने की दृष्टि से भी मील का पत्थर है।
ये बातें मुख्य न्यायाधीश ने सुवास प्रकोष्ठ में ई-एएचसीआर (इलाहाबाद हाईकोर्ट निर्णय पत्रिका) बोर्ड रूम के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने 50,000वां अनुवादित निर्णय स्वयं अपलोड किया। इसी के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आम जनता तक न्याय की भाषा पहुंचाने की दिशा में नया इतिहास रच दिया है। सुवास प्रकोष्ठ ने दो वर्ष से कम समय में हाईकोर्ट के 50 हजार फैसलों का हिंदी अनुवाद कर देश के सभी उच्च न्यायालयों को पीछे छोड़ दिया है।
समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अजित कुमार ने बताया कि वर्ष 2010 से अक्तूबर 2025 तक के रिपोर्टेबल फैसलों का अनुवाद पूर्ण कर लिया गया है। अब नौ श्रेणियों के मामलों में गैर-रिपोर्टेबल अंतिम आदेशों का अनुवाद किया जा रहा है। उन्होंने घोषणा को इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्थापना की 160वीं वर्षगांठ 17 मार्च, 2026 से प्रत्येक कोर्ट के गैर-रिपोर्टेबल अंतिम आदेशों का भी अनुवाद शुरू कर दिया जाएगा। 2026 तक एक लाख अनुवादित निर्णय का लक्ष्य रखा गया है।

