Site icon World's first weekly chronicle of development news

अमेरिका, यूरोप, जापान सब छूट जाएंगे पीछे, भारत बनेगा किंग

America, Europe, Japan will all be left behind, India will become king
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। गोल्डमैन सैक्स की एक नई रिपोर्ट आई है। इसके अनुसार, भारत और चीन जैसे उभरते देशों के शेयर बाजार अगले दशक में सबसे मजबूत प्रदर्शन करने वाले हैं। इन देशों में कमाई में जबरदस्त बढ़ोतरी की उम्मीद है। यह उन्हें वैश्विक स्तर पर खास बनाती है। गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि अगले 10 सालों में उभरते बाजारों से सालाना 10.9% का रिटर्न मिलेगा। यह अमेरिका (6.5%), यूरोप (7.1%), जापान (8.2%) और एशिया (जापान को छोड़कर) (10.3%) से काफी ज्यादा है। गोल्डमैन सैक्स की यह रिपोर्ट ‘ग्लोबल स्ट्रैटेजी पेपर नंबर 75 – बिल्डिंग लॉन्ग टर्म रिटर्न्स: अवर 10-ईयर फोरकास्ट’ के नाम से आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, उभरते बाजारों में इस ग्रोथ का मुख्य कारण चीन और भारत में प्रति शेयर आय (ईपीएस) में होने वाली बड़ी बढ़ोतरी है। रिपोर्ट के अनुसार भारत की कमाई में बढ़ोतरी का अनुमान सबसे ज्यादा है।
गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि इन दोनों देशों में सरकारी नीतियों में सुधार से शेयरधारकों को मिलने वाले रिटर्न में भी इजाफा होगा। कुल मिलाकर दुनिया भर के शेयर बाजार ऊंचे वैल्यूएशन के बावजूद अच्छा लॉन्ग-टर्म रिटर्न देंगे।
ऐसे अनुमान की वजह क्या?
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारा अनुमान है कि सालाना 7.7% का रिटर्न (डॉलर में) ऐतिहासिक औसत के करीब रहेगा। यह मजबूत आर्थिक ग्रोथ, मुनाफा और शेयरधारकों को मिलने वाले लाभ जैसे कारणों से संभव होगा।’
कमाई में बढ़ोतरी ही शेयर बाजार के प्रदर्शन का सबसे बड़ा जरिया है। गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि अगले 10 सालों में शेयर बायबैक को मिलाकर ग्लोबल अर्निंग्स में सालाना लगभग 6% की बढ़ोतरी होगी। बाकी का रिटर्न डिविडेंड से आएगा। साथ ही, यह भी उम्मीद है कि शेयर बाजार का वैल्यूएशन जो अभी ऊंचा है, वह थोड़ा कम होगा।
भारत की कमाई में बढ़ोतरी का अनुमान सबसे ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सालाना 13% की कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) से कमाई बढ़ने की उम्मीद है। इसके पीछे भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद और युवा आबादी जैसे कारण हैं।
वैल्यूएशन की थोड़ी चिंता
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शेयर बाजार की मौजूदा वैल्यूएशन थोड़ी ज्यादा है। लेकिन, यह ग्लोबल इक्विटी मार्केट के भविष्य के अनुमानों पर हावी नहीं होगी। गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि ऊंचे वैल्यूएशन के बावजूद ग्लोबल शेयर मार्केट लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देंगे। अमेरिका में ऊंचे वैल्यूएशन को देखते हुए निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने की सलाह दी गई है। खासकर उभरते बाजारों की ओर झुकाव रखने की सलाह है। कारण है कि वहां मजबूत आर्थिक ग्रोथ और बेहतर हो रहे मार्केट स्ट्रक्चर के कारण उभरते बाजार (ईएम) विकसित बाजारों (डीएम) से थोड़े बेहतर साबित हो सकते हैं।
एसएंडपी 500 इंडेक्स के लिए गोल्डमैन सैक्स ने अगले 10 सालों में सालाना औसतन 6.5% के कुल रिटर्न का अनुमान लगाया है। इसमें सबसे अच्छी स्थिति में 10% और सबसे खराब स्थिति में 3% तक का रिटर्न मिल सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हम उम्मीद करते हैं कि अगले 10 सालों में कमाई ही शेयर बाजार के रिटर्न का मुख्य जरिया बनी रहेगी।’
भारत को लेकर बदला नजरिया
हाल ही में गोल्डमैन सैक्स ने भारत को लेकर अपना नजरिया बदला है। उसने अक्टूबर 2024 में भारत को ‘न्यूट्रल’ से ‘ओवरवेट’ कर दिया है। इसका मतलब है कि वह भारतीय शेयर बाजार में निवेश बढ़ाने की सलाह दे रहा है। इसके पीछे उसने कमाई में आ रही तेजी और सरकारी नीतियों का समर्थन बताया है। गोल्डमैन सैक्स ने भारत के बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 के लिए 2026 के अंत तक 29,000 का टारगेट रखा है। यह टारगेट 7 नवंबर के बंद भाव से लगभग 14% की बढ़ोतरी का संकेत देता है। इस साल अब तक निफ्टी 50 में करीब 8.5% की बढ़ोतरी हुई है, जो उभरते बाजारों के मजबूत प्रदर्शन के मुकाबले थोड़ी कम है।
गोल्डमैन सैक्स ने भारत में इस बदलाव के पीछे कई वजहें बताई हैं। इनमें ग्रोथ को बढ़ावा देने वाली सरकारी नीतियां शामिल हैं। मसलन, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से ब्याज दरों में कटौती, बाजार में नकदी उपलब्धता बढ़ाना, बैंकों के नियमों में ढील देना, जीएसटी में कमी और सरकारी खर्च को धीरे-धीरे घटाना। ब्रोकरेज फर्म ने यह भी नोट किया है कि सितंबर तिमाही के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे हैं। इससे कुछ सेक्टरों में कमाई के अनुमानों को बढ़ाया गया है।
सेक्टर-स्पेसिफिक नजरिये की बात करें तो गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि फाइनेंशियल, कंज्यूमर स्टेपल्स, ड्यूरेबल्स, ऑटो, डिफेंस, ऑयल मार्केटिंग कंपनियां और इंटरनेट व टेलीकॉम कंपनियां इस रिकवरी में आगे रहेंगी। वहीं, वह एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड आईटी, फार्मा, इंडस्ट्रियल्स और केमिकल्स सेक्टरों पर थोड़ी सावधानी बरतने की सलाह दे रहा है। इन सेक्टरों में कमाई पर दबाव और सरकारी पूंजीगत व्यय में नरमी की आशंका है।

Exit mobile version