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कृषि के लिए बड़े एलान

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आस्था भट्टाचार्य

नई दिल्ली। वित्त मंत्री ने बजट में कृषि क्षेत्र के लिए कई बड़े एलान किए। उन्होंने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, दलहन में आत्मनिर्भरता, बिहार में मखाना बोर्ड बनाने और असम में यूरिया प्लांट खोलने का एलान किया। इसके अलावा किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत ऐसे 100 जिलों को चुना जाएगा, जहां पर कृषि उत्पादकता कम है। इससे वहां पर उत्पादकता बढ़ाने, खेती में विविधता लाने, सिंचाई और उपज के बाद भंडारण की क्षमता मजबूत करने में मदद मिलेगी। इस योजना से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ होगा। इसमें सभी तरह के किसान आएंगे। कृषि के अच्छे तरीकों को अपनाने पर जोर दिया जाएगा।

दलहन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
उन्होंने कहा कि दलहन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देंगे। इसके लिए खाद्य तेलों के उत्पादन पर ध्यान दिया जाएगा। तुअर, उड़द और मसूर दाल के लिए सरकार छह वर्ष का मिशन शुरू करेगी ताकि दलहन में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सके। नैफेड और एनसीसीएफ तीन तरह की दालों की खरीद करेगी। इन एजेंसियों में पंजीकृत किसानों से दालें खरीदी जाएंगी।

सब्जी, फल और पोषण पर ध्यान
सब्जी, फल और पोषण पर ध्यान दिया जाएगा। श्रीअन्न और फलों की मांग बढ़ती जा रही है। राज्यों के साथ मिलकर एक योजना शुरू की जाएगी। इसमें कृषि उपज संगठनों को लाभ मिलेगा।

बिहार में मखाना बोर्ड बनेगा
मखाना बोर्ड बनाया जाना बिहार के लोगों के लिए विशेष अवसर है जिससे वे मखाना का उत्पादन और उसके प्रसंस्करण को बढ़ावा दे सकेंगे। मखाना बोर्ड इसमें किसानों की मदद करेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के लिए अल्पकालिक ऋण की सुविधा प्रदान करता है। केसीसी के माध्यम से लिए गए ऋण की सीमा तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये की जाएगी।

नामरूप में प्लांट
केंद्रीय वित्त मंत्री ने असम के नामरूप में यूरिया प्लांट खोलने का एलान किया। उन्होंने कहा कि असम के नामरूप में 12.7 लाख मीट्रिक टन की वार्षिक क्षमता वाले संयंत्र की स्थापना की जाएगी।

बंद पड़े तीन यूरिया संयंत्र फिर खोले गए
उन्होंने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में बंद पड़े तीन यूरिया संयंत्रों को फिर से खोला गया है।
देश में आजादी के बाद से अब तक कृषि बजट काफी हद तक बदल गया है। 1947-48 में जब बजट पेश किया गया था तो उसमें 22.5 करोड़ रुपये कृषि क्षेत्र को दिए गए थे। यह भी बतौर अनाज सब्सिडी के लिए थे। इसके बाद 2013-14 में कृषि बजट बढ़कर 27 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया। 2024-25 में कृषि बजट बढ़कर 1.51 लाख करोड़ रुपये हो गया। देश के बजट में कृषि बजट की हिस्सेदारी तीन फीसदी है।

1988 में हुई थी किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत
दरअसल, किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत 1998 में की गई थी। इसके तहत खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों में लगे किसानों को 9 फीसदी ब्याज दर पर अल्पकालीन फसल ऋण दिया जाता है। सरकार किसानों को ब्याज पर 2 फीसदी छूट देती है और समय से अदायगी करने वाले किसानों के ब्याज में बतौर प्रोत्साहन 3 फीसदी कमी और कर दी जाती है। इस तरह किसानों को सालाना 4 फीसदी दर पर कर्ज मिल जाता है। इस योजना के तहत सक्रिय क्रेडिट कार्ड खातों की संख्या 30 जून, 2023 तक 7.4 करोड़ से अधिक थी और उन पर 8.9 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया था।

किसान क्रेडिट कार्ड से जुड़े अहम आंकड़े
नाबार्ड के आंकड़ों के अनुसार अक्तूबर 2024 तक सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने 167.53 लाख किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए थे जिनकी कुल क्रेडिट लिमिट 1.73 लाख करोड़ रुपये थी। इसमें डेयरी किसानों के लिए 10,453.71 करोड़ रुपये क्रेडिट लिमिट के साथ 11.24 लाख कार्ड और मत्स्य पालकों के लिए 341.70 करोड़ रुपये क्रेडिट लिमिट के साथ 65,000 किसान क्रेडिट कार्ड शामिल हैं।

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