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चंद्रयान-5 मिशन को केंद्र की मंजूरी

Centre's approval for Chandrayaan-5 mission
ब्लिट्ज ब्यूरो

बेंगलुरु। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने बताया है कि केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है। वे बेंगलुरु में इसरो चीफ का पदभार संभालने के बाद एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने बताया- अभी तीन दिन पहले ही हमें चंद्रयान-5 मिशन के लिए मंजूरी मिली है। इसमें जापान हमारा सहयोगी होगा। चंद्रयान-3 मिशन के लिए 25 किलोग्राम का रोवर (प्रज्ञान) ले जाया गया था, जबकि चंद्रयान-5 मिशन चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए 250 किलोग्राम वजनी रोवर ले जाएगा।
मिशन चंद्रयान-4 मिशन
आगे के प्रोजेक्ट के बारे में नारायणन ने बताया कि 2027 में लॉन्च होने वाले चंद्रयान-4 मिशन का मकसद चंद्रमा की मिट्टी के नमूने लाना है। वहीं, गगनयान सहित कई मिशनों के अलावा अंतरिक्ष में भारत का अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने की योजनाओं पर काम चल रहा है। इसरो ने 17 अगस्त 2023 को दोपहर 1:15 बजे चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से अलग किया था।
सितंबर, 2024 में मिली थी
चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी
इस मिशन का उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा पर उतारना, चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों के सैंपल इकट्ठा करना और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है। इस मिशन पर 2104 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस स्पेसक्राफ्ट में पांच अलग-अलग मॉड्यूल होंगे। जबकि, 2023 में चंद्रमा पर भेजे गए चंद्रयान-3 में प्रपल्शन मॉड्यूल (इंजन), लैंडर और रोवर तीन मॉड्यूल थे।
एसेंडर मॉड्यूल
चंद्रयान-4 के स्टैक 1 में लूनर सैंपल कलेक्शन के लिए एसेंडर मॉड्यूल और सतह पर लूनर सैंपल कलेक्शन के लिए डिसेंडर मॉड्यूल होगा। स्टैक 2 में थ्रस्ट के लिए एक प्रॉपल्शन मॉड्यूल, सैंपल होल्ड के लिए ट्रांसफर मॉड्यूल और सैंपल को पृथ्वी पर लाने के लिए री-एंट्री मॉड्यूल शामिल रहेगा।
दो रॉकेट का इस्तेमाल
मिशन में दो अलग-अलग रॉकेट का इस्तेमाल होगा। हैवी-लिफ्टर एलवीएम-3 और इसरो का रिलायबल वर्कहॉर्स पीएसएलवी अलग-अलग पेलोड लेकर जाएंगे। चंद्रयान-4 के 2 मॉड्यूल चांद की सतह पर जाएंगे चंद्रयान-4 मिशन कई स्टेज में पूरा होगा। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद मुख्य स्पेसक्राफ्ट से 2 मॉड्यूल अलग होकर सतह पर लैंड करेंगे। दोनों ही मॉड्यूल चांद की सतह से नमूने इकट्ठा करेंगे।
एक मॉड्यूल चांद की सतह से लॉन्च होगा
फिर एक मॉड्यूल चांद की सतह से लॉन्च होगा और चांद की कक्षा में मुख्य स्पेसक्राफ्ट से जुड़ जाएगा। नमूनों को धरती पर वापस आने वाले स्पेसक्राफ्ट में ट्रांसफर करके भेजा जाएगा।
चांद की सतह से ‎नमूने उठाने वाला रोबोट
इसरो के वैज्ञानिक चांद की सतह से ‎नमूने उठाने वाला रोबोट तैयार कर रहे हैं। गहराई तक ‎ड्रिल करने तकनीक पर काम हो रहा है। नमूने इकट्ठा करने के लिए कंटेनर और डॉकिंग मैकेनिज्म‎ की तकनीक विकसित की जा रही है।
भविष्य के अन्य प्लान
2025 में गगनयान में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों के दल को 400 किमी ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्चिंग
भारत के अंतरिक्ष स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे। पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च होगा। इसके लिए डिज़ाइन का काम पूरा हो चुका है और रिपोर्ट मंजूरी के लिए सरकार को सौंप दी गई है। ये स्टेशन स्पेस में एस्ट्रोनॉट का ठिकाना होगा।
इंडियन एस्ट्रोनॉट को चांद पर भेजना
2040 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने पर काम कर रहा है। अभी अमेरिका ही ऐसा देश है जो चांद पर इंसानों को भेज चुका है। चीन भी 2030 तक अपने एस्ट्रोनॉट को चांद पर पहुंचाने पर काम कर रहा है।
वीनस ऑर्बिटर मिशन
1,236 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। इसे मार्च 2028 में लॉन्च किया जाना है। वीओएम का प्राइमरी ऑब्जेक्टिव शुक्र की सतह और वायुमंडल के साथ-साथ शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना है।
एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग
2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इसरो ने गगनयान मिशन के एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग का एक वीडियो जारी किया। वीडियो में दिख रहा है कि एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस जैसी एक सिमुलेटेड कंडीशन में ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्हें अंतरिक्ष यान, जीरो ग्रेविटी और स्पेस में आने वाली अन्य चुनौतियों के हिसाब से ट्रेनिंग की जा रही है।

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