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निजी जानकारी की गोपनीयता को लेकर उपभोक्ता फिक्रमंद

cyber security
मनोज जैन

नई दिल्ली। उपभोक्ता व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता के उल्लंघनों को लेकर फिक्रमंद होने लगे हैं लेकिन अब भी बड़ी संख्या में लोग व्यक्तिगत आंकड़ों से संबंधित अपने अधिकारों को लेकर जागरूक नहीं हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया ने एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात कही है। परामर्शदाता कंपनी का आंकड़ों की गोपनीयता पर कराया गया यह सर्वेक्षण डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (डीपीडीपीए) से संबंधित जागरूकता और कार्यान्वयन में मौजूद फासले को इंगित करता है। देश भर में 3,233 उपभोक्ताओं और 186 संगठनों के बीच यह सर्वेक्षण कराया गया है।

सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, 42 प्रतिशत उपभोक्ता इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि वे निजी जानकारी के उल्लंघन के बाद किसी कंपनी की सेवाओं का उपयोग करना जारी रखेंगे या नहीं। पीडब्ल्यूसी इंडिया ने कहा, ‘यह दर देश के प्रमुख शहरों में 46 प्रतिशत है। हालांकि 52 प्रतिशत संगठन व्यक्तिगत आंकड़ों के आसपास अतिरिक्त सुरक्षा नियंत्रण की योजना बना रहे हैं, लेकिन सिर्फ प्रौद्योगिकी अनुपालन से बात नहीं बन पाएगी।’ विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, आयु समूहों, व्यावसायिक पृष्ठभूमि और शहरी-ग्रामीण विभाजनों में केवल 16 प्रतिशत उपभोक्ता ही डीपीडीपी अधिनियम के बारे में जानते हैं। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 56 प्रतिशत उपभोक्ता व्यक्तिगत आंकड़ों से संबंधित अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानते हैं और 69 प्रतिशत को अपनी सहमति वापस लेने के अधिकारों के बारे में नहीं मालूम है।

पीडब्ल्यूसी इंडिया में साझेदार और प्रमुख (जोखिम परामर्श) शिवराम कृष्णन ने कहा कि डीपीडीपी अधिनियम, 2023 भारत के एक उच्च-वृद्धि वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलाव के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह सर्वेक्षण ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए डिजिटल गोपनीयता, सहमति प्रबंधन, व्यक्तिगत आंकड़ों की सुरक्षा और बिना सोचे-समझे निजी जानकारी साझा करने के परिणामों पर युवा वर्ग को शिक्षित करने की तत्काल जरूरत को भी बताता है।

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