ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने विगत दिवस कहा कि उसने गगनयान क्रू मॉड्यूल के लिए मुख्य पैराशूट का एक महत्वपूर्ण परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को गगनयान कहा जाता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि इसी माह की शुरुआत में पैराशूट परीक्षण का आयोजन किया गया जो गगनयान मिशन में पैराशूट प्रणाली की अहर्ता के लिए एकीकृत मुख्य पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट (आईएमएटी) की चल रही श्रृंखला का हिस्सा है। गगनयान क्रू मॉड्यूल के लिए पैराशूट प्रणाली में चार प्रकार के कुल 10 पैराशूट शामिल हैं।
इसरो ने कहा कि इस प्रणाली को अतिरिक्त पैराशूट के साथ डिजाइन किया गया है और तीन मुख्य पैराशूटों में से दो सुरक्षित लैंडिंग के लिए पर्याप्त हैं। गगनयान मिशन के मुख्य पैराशूट चरणबद्ध प्रक्रिया में तैनात होते हैं जिसे रीफ्ड इन्फ्लेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में, पैराशूट पहले आंशिक रूप से खुलता है, जिसे रीफिंग कहते हैं और फिर एक निश्चित समय के बाद पूरी तरह से खुलता है, जिसे डिसरीफिंग कहते हैं। इस प्रक्रिया में पायरो उपकरण का उपयोग किया जाता है। इस परीक्षण में, दो मुख्य पैराशूटों के बीच डिसरीफिंग की संभावित चरम परिस्थितियों में से एक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया, जिससे अधिकतम डिजाइन के लिए मुख्य पैराशूटों की वैधता साबित हुई।
इस परीक्षण का सफल समापन पैराशूट प्रणाली को मानव अंतरिक्ष उड़ान के योग्य बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), इसरो, हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एडीआरडीई), रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना की सक्रिय भागीदारी शामिल है। जिसमें विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), इसरो, हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना की सक्रिय भागीदारी शामिल है।

