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डीए-डीआर को बेसिक पे में मर्ज नहीं किया जाएगा

DA-DR will not be merged with basic pay
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने क्लेरिफिकेशन जारी किया है कि डीए (महंगाई भत्ता) और डीआर (महंगाई राहत) को बेसिक पे में मिलाने का कोई प्रपोजल यानी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की लंबे समय से चली आ रही मांग पर मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण दिया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब 8वें वेतन आयोग की चर्चाएं जोरों पर हैं और कर्मचारी सैलरी ग्रोथ की उम्मीद लगाए बैठे हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि डीए और डीआर को बेसिक पे में मर्ज करने से सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव आएगा लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।
यह स्पष्टीकरण सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अफवाहों के बाद दिया गया जहां कहा जा रहा था कि जल्द ही मर्जर का एलान हो सकता है। वहीं आठवें वेतन आयोग के लागू होने की टाइमलाइन का एलान अभी नहीं हुआ है। कयास लगाए जा रहे हैं कि ये 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है लेकिन इसे पूरी तरह इम्प्लीमेंट होने में 2028 तक का इंतजार करना पड़ सकता है।
यही कारण है कि कई लोगों के मन में सवाल है कि क्या सरकार अगले वेतन आयोग के लागू होने तक महंगाई भत्ते में संशोधन करती रहेगी, या फिर कर्मचारियों को वेतन वृद्धि के लिए अगले वेतन आयोग तक इंतजार करना पड़ेगा।
डीए-डीआर मर्जर की मांग की
शुरुआत कब हुई
केंद्रीय कर्मचारियों के संगठनों ने 2016 के 7वें वेतन आयोग के बाद से ही डीए-डीआर मर्जर की मांग उठाई है। उनका तर्क है कि महंगाई बढ़ने से डीए का बोझ बढ़ जाता है, जिसे बेसिक पे में मिलाने से पेंशन और अन्य भत्तों में फायदा मिलेगा। स्टाफ साइड के एक प्रतिनिधि ने कहा, ‘यह मर्जर कर्मचारियों के लिए राहत का काम करेगा, लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठा।’
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि मर्जर से सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। एक एनालिस्ट ने बताया, ‘डीए वर्तमान में 58% तक पहुंच चुका है। इसे मर्ज करने से बेसिक पे बढ़ेगा और जीडीपी का 0.5% से ज्यादा खर्च बढ़ सकता है।’ हालांकि, मंत्रालय ने कहा कि डीए को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहेगा, ताकि महंगाई से राहत मिले।
वित्त मंत्रालय का बयान, अफवाहों पर विराम
मंत्रालय की ओर से जारी स्टेटमेंट में साफ लिखा है कि सरकार के पास डीए और डीआर को बेसिक पे में मर्ज करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह बयान तब जारी होने के बाद अफवाहों पर विराम लग गया। अधिकारी ने आगे कहा कि कर्मचारियों को भ्रमित करने वाली खबरों से बचें। हम समय पर डीए का रिव्यू करते हैं।’
पिछले साल भी ऐसी अफवाहें उड़ी थीं, लेकिन हर बार मंत्रालय ने इन्हें खारिज किया। एक सीनियर अफसर ने बताया कि 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था, जो डीए मर्जर के बिना ही लागू हुआ। अब 8वें आयोग की कमेटी बनने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन मर्जर पर कोई चर्चा नहीं।
8वें वेतन आयोग से क्या उम्मीदें, कब लागू होगा
8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है, जिसमें 50 लाख से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा। कर्मचारी यूनियंस का कहना है कि फिटमेंट फैक्टर 2.46 तक हो सकता है, जिससे औसत वेतन 30-40% बढ़ेगा लेकिन डीए मर्जर न होने से निराशा है। एक यूनियन लीडर ने कहा कि अगर मर्जर होता तो पेंशनर्स को बड़ी रिलीफ मिलती। सरकार को इस पर दोबारा सोचना चाहिए। एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि बजट 2025-26 में आयोग के गठन का एलान हो सकता है। फिलहाल, अगला डीए बढ़ोतरी मार्च 2026 तक तय है।
कर्मचारियों पर असर, क्या प्लानिंग करें
इस स्पष्टीकरण से कर्मचारियों को डीए पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। महंगाई रेट 5.49% होने से अगली बढ़ोतरी 3% हो सकती है। फाइनेंशियल प्लानर्स सलाह देते हैं कि बचत पर फोकस करें और म्यूचुअल फंड्स में निवेश बढ़ाएं। एक एक्सपर्ट ने कहा कि वेतन स्थिर रहेगा, लेकिन महंगाई से निपटने के लिए साइड इनकम सोर्स बनाएं।
कुल मिलाकर यह फैसला कर्मचारियों के लिए झटका तो है, लेकिन 8वें आयोग से बड़ी राहत की उम्मीद बनी हुई है। सरकार ने आश्वासन दिया है कि समय पर सभी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी।

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