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अमेरिकी ‘बाज’ से मोहभंग! देसी अपाचे के लिए एचएएल संग 62000 करोड़ की डील

Disillusioned with the American 'Baz'! 62,000 crore deal with HAL for indigenous Apache.

आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारत को इसी माह अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टर सौदे के तहत अंतिम तीन चॉपर मिलने वाले हैं। यह सौदा 2020 का है। इसके बाद से भारत ने अपाचे के लिए कोई नया सौदा नहीं किया बल्कि भारतीय सेना ने देसी हेलीकॉप्टर पर भरोसा जताया है। इसी साल मार्च में रक्षा मंत्रालय ने एक साथ 156 देसी अपाचे खरीदने का सौदा किया। यह सौदा 62 हजार करोड़ रुपये से अधिक है।
देसी फाइटर जेट तेजस एमके1ए की डिलिवरी में देरी की कारण पब्लिक सेक्टर की कंपनी एचएएल की चौतरफा आलोचना हो रही है। करीब डेढ़ साल पहले ही इसकी डिलिवरी शुरू होनी थी लेकिन, एचएएल ने अभी तक एक भी विमान की डिलिवरी नहीं दी है। भारत सरकार ने एचएएल के साथ 83 विमानों का सौदा किया था। फाइटर जेट्स की कमी से जूझ रही इंडियन एयरफोर्स बार-बार डिलिवरी बढ़ाने की अपील करती है लेकिन, अमेरिका से इंजन की सप्लाई में देरी के कारण एचएएल समय पर विमान नहीं बना पा रही है। इस मसले पर काफी कुछ लिखा-पढ़ा जा चुका है।
आज का मसला एचएएल को मिली 62 हजार करोड़ से अधिक की एक दूसरी डील का है। भारत ने यह डील एक अमेरिकी ‘बाज’ को दरकिनार कर एचएएल के साथ की है। इस अमेरिकी ‘बाज’ का नाम है अपाचे। दरअसल, भारत ने अमेरिका से फरवरी 2020 में छह एएच-64ई अपाचे हेलीकॉप्टरों का सौदा किया था। यह सौदा 80 करोड़ डॉलर यानी 7200 करोड़ था। इस सौदे के तहत भारत को पहले तीन हेलीकॉप्टरों की डिलिवरी जुलाई में हुई और बाकी के तीन अन्य हेलीकॉप्टर इसी माह मिलने की उम्मीद है।
डिलिवरी में करीब डेढ़ साल की देरी
इस हेलीकॉप्टर को अमेरिकी कंपनी बोइंग बनाती है और डील के वक्त उसने सभी छह हेलीकॉप्टरों की डिलिवरी फरवरी 2024 तक पूरा करने की बात कही थी लेकिन, इस डील को पूरा होने में करीब दो साल की देरी होती दिख रही है। अपाचे एक बेहतरीन हेलीकॉप्टर हैं लेकिन भारतीय सेना ने इससे दूरी बना ली है। भारत ने 2020 के सौदे के बाद बोइंग को अपाचे के लिए कोई दूसरा ऑर्डर नहीं दिया।
इसके बदले भारत ने अब देसी हेलीकॉप्टर प्रचंड पर भरोसा जताया है। प्रचंड एक शानदार युद्धक हेलीकॉप्टर है। इसका वजन 5.8 टन है और इसने कई मामलों में अमेरिकी अपाचे को भी मात दी है। भारत के पहाड़ी इलाकों और चोटियों को देखते हुए खासतौर पर इस हेलीकॉप्टर को विकसित किया गया है। इसमें शक्ति श्रेणी के दो इंजन लगे हैं। इसकी तकनीक दुनिया के बेहतरीन हेलीकॉप्टरों से बेहतर है। इस हेलीकॉप्टर में 65 फीसदी से अधिक उपकरण स्वदेशी हैं और इसके निर्माण से करीब 250 कंपनियां जुड़ी हुई हैं।
थोक भाव में ऑर्डर
भारतीय सेना ने इस प्रचंड हेलीकॉप्टर की क्षमता पूरी तरह संतुष्ट बताई जा रही है। इसका प्रमाण यह है कि 28 मार्च 2025 को रक्षा मंत्रालय ने इस हेलीकॉप्टर के 10-20 नहीं बल्कि एक साथ 156 यूनिट का ऑर्डर दे दिया। इस डील 62,700 करोड़ रुपये की थी। किसी देसी कंपनी के साथ इतनी बड़ी डील का यह अपने तरह संभवतः पहला मामला है। इन 156 हेलीकॉप्टरों में से 66 एयरफोर्स के लिए और बाकी के 90 हेलीकॉप्टर इंडियन आर्मी के लिए हैं। इस हेलीकॉप्टर की डिलिवरी 2027-28 से शुरू होने वाली है। इस सौदे को पूरे पांच साल में पूरा होने की संभावना है। एचएएल के पास हर साल 30 हेलीकॉप्टर बनाने की क्षमता है। इसके लिए बेंगलुरू और तुमकुर में दो प्लांट लगाए गए हैं।
प्रचंड की क्षमता
प्रचंड हेलीकॉप्टर की रफ्तार 275 किमी प्रति घंटे की है। यह एक बार में 500 किमी की दूरी तय करता है। यह बेहद ऊंची पहाड़ी इलाकों के लिए बेहद मुफीद है। इसकी क्षमता 16000 से 18000 फीट की ऊंचाई तक जाने की है। इस मामले में अमेरिकी अपाचे भी मात खा जाता है। पहाड़ी इलाकों में इस अमेरिकी हेलीकॉप्टर के सांस फूलने लगते हैं। हालांकि, इसकी भी क्षमता 20000 फीट है।

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