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पिता ने धोए अफसरों के कपड़े, बेटे से देखा न गया

Father washes officers' clothes, but son is not seen
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। ‘मेरे पिताजी लोगों के कपड़े धोते थे और धोने के बाद उन्हीं कपड़ों को प्रेस करते थे। जब उन्हें लगा कि गांव की इस मजदूरी से बच्चों को नहीं पढ़ा पाएंगे, तो पिताजी पटना आ गए। यहां एक पॉश इलाके में एक आलीशान मकान के बराबर में हमें कमरा मिल गया। कमरा भी ऐसा, जो बारिश में टपकता था और गर्मी में तपता था। यहां हम लोग जिंदगी जीने के नाम पर केवल वक्त काट रहे थे।

ये कहानी है बिहार के एक ऐसे नौजवान की, जिसने अपनी मेहनत से इतिहास रच दिया है। इस नौजवान का नाम है आनंद मोहन, जो फिलहाल बिहार में ग्रामीण विकास विभाग में बीडीओ के पद पर नियुक्त हैं। आनंद मोहन के लिए ये राह बहुत ज्यादा मुश्किलों और चुनौतियों से भरी हुई रही। उनके पिता जब पटना आए तो घर-घर जाकर लोगों से कपड़े लेकर आते थे और उन पर प्रेस करते थे। यही वो वक्त था, जब पिता ने आनंद से कहा कि पढ़-लिखकर कुछ बनो। आनंद को भी अपने पिता को ऐसे हालात में देखा नहीं गया और उन्होंने मेहनत करना शुरू कर दिया।

पढ़ाई को लेकर आनंद का जुनून ऐसा था कि रात में पढ़ते वक्त उन्हें नींद ना आ जाए, इसके लिए वो पंखा बंद कर दिया करते थे। आनंद की मेहनत रंग लाई और मैट्रिक में उनके शानदार नंबर आए। नंबर भी ऐसे कि केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें दिल्ली बुलाकर सम्मानित किया। आनंद को 10 हजार रुपये का चेक और सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। उनके लिए ये पहली सफलता थी लेकिन बड़ी थी। आनंद आगे बढ़ते गए और ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन करते हुए कॉलेज टॉप किया। आनंद की कामयाबी के चर्चे अब होने लगे थे। इस बीच आनंद का सेलेक्शन 2012 सीजीएल के माध्यम से अकाउंटेंट के पद पर हो गया। आनंद को सरकारी नौकरी मिल गई, लेकिन अभी भी उस मंजिल को पाना था, जिसके लिए उन्होंने एक संकल्प लिया था। इस संकल्प को पूरा करने में मदद की पटना के रहमान सर ने। दरअसल, सरकारी नौकरी मिलने से पहले 2010 में ही आनंद ने बीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। इस तैयारी की कोचिंग के लिए वो रहमान सर के पास पहुंचे लेकिन उनके पास पैसों की दिक्कत थी। ये बात उन्होंने रहमान सर को बताई। रहमान सर ने कहा कि आप एक एप्लिकेशन लिखिए और उसे यहां विराजमान मां सरस्वती की प्रतिमा के पास रख दीजिए। इसके बाद उन्होंने आनंद के माथे पर अपने दाएं हाथ की उंगली से लिखा कि तुम अफसर जरूर बनोगे। बस यहीं से आनंद का सफर शुरू हो गया।

और आनंद ने पा ली अपनी मंजिल
साल 2012 में आनंद ने बीपीएससी की प्री और मेंस परीक्षा पास कर ली और अगले साल उन्हें इंटरव्यू के लिए दिल्ली बुलाया गया। आनंद के दोस्तों ने उनसे कहा कि वो फ्लाइट से दिल्ली जाएं। ये एक बड़ा पल था कि क्योंकि लोगों के कपड़े धोने वाले का बेटा पहली बार प्लेन में बैठ रहा था। आनंद ने इंटरव्यू दिया और सेलेक्शन ग्रामीण विकास विभाग में बीडीओ के पद पर हो गया। आनंद जब रिजल्ट के बाद गांव लौटे, तो शानदार तरीके से उनका स्वागत किया गया।

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