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चुनावी फायदे के लिए जोड़ा था गांधी का नामः शिवराज

Gandhi's name was added for electoral gains: Shivraj

विनोद शील
नई दिल्ली। मनरेगा की जगह लोकसभा में विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल यानी वीबी जी-राम-जी बिल पारित हो गया। कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने इस बिल पर सरकार के उद्देश्य बताए व विपक्ष के सवालों का जवाब दिया।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, मनरेगा योजना का नाम पहले महात्मा गांधी के नाम पर नहीं रखा गया था, वो तो पहले नरेगा थी। बाद में जब 2009 के चुनाव आए तब चुनाव और वोट के कारण महात्मा गांधी याद आए, बापू याद आए, तब उसमें जोड़ा गया महात्मा गांधी। इससे पहले विपक्ष ने इस बिल के विरोध में संसद परिसर में मार्च निकाला। इसमें विपक्ष के 50 से ज्यादा सांसदों ने हिस्सा लिया और वीबी-जी-राम-जी बिल वापस लेने के नारे लगाए।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘हम किसी से भेदभाव नहीं करते, बापू हमारी प्रेरणा और श्रद्धा हैं। पूरा देश हमारे लिए एक है। देश हमारे लिए केवल जमीन का टुकड़ा नहीं है। हमारे विचार संकीर्ण और संकुचित नहीं है।’
शिवराज ने की बहस जारी रखने की मांग
कांग्रेस के सांसद केजी वेणुगोपाल ने स्पीकर से कहा कि इस बिल को किसी स्थायी समिति या संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाए। हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ने यह कहते हुए अनुरोध अस्वीकार कर दिया कि इस विधेयक पर 14 घंटे से अधिक समय तक बहस हो चुकी है। इस बीच, विपक्ष के नारेबाजी शुरू करने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बहस जारी रखने की मांग की।
कांग्रेस को नाम रखने की सनक
कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा, ‘कितनी योजनाओं का नाम नेहरू परिवार पर रखा गया। राजीव जी के नाम पर 55 राज्य सरकार की योजनाओं के नाम रखे गए 74 सड़कों के नाम राजीव पर, 15 नेशनल पार्क नेहरू जी के नाम पर रखे गए। नाम रखने की सनक कांग्रेस की है। ‘बता दें कि कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने 16 दिसंबर को कहा था कि हम इस बिल का विरोध करते हैं। हर योजना का नाम बदलने की सनक समझ नहीं आती है।
विपक्ष ने बिल पास होने पर जमकर हंगामा किया और बिल के कागज फाड़कर फेंक दिए। सदन का माहौल इतना बिगड़ गया कि कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी सांसद सदन के वेल में पहुंच गए।
इस बिल पर 14 घंटे चर्चा चली
इससे पहले बुधवार को लोकसभा में वीबी-जी-राम-जी बिल पर 14 घंटे चर्चा हुई थी। कार्यवाही देर रात 1:35 बजे तक चली जिसमें 98 सांसदों ने हिस्सा लिया था। विपक्ष ने मांग की कि प्रस्तावित कानून को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए। यह 20 साल पुराने मनरेगा एक्ट की जगह लेगा।

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