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पत्नी के गहने गिरवी रख शुरू किया बिजनेस बना दी दूसरी सबसे बड़ी होटल चेन

He started a business by mortgaging his wife's jewellery and made it the second largest hotel chain
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। मोहन सिंह ओबेरॉय का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्हें भारत में होटल इंडस्ट्री का पायनियर माना जाता है। उन्होंने ओबेरॉय होटल्स एंड रिसॉर्ट्स की स्थापना की थी जो आज देश में दूसरा सबसे बड़ा होटल ब्रांड है। ओबेरॉय ग्रुप के भारत, इंडोनेशिया, मिस्र, यूएई, मॉरीशस और सऊदी अरब में 31 होटल हैं। मोहन सिंह ओबेरॉय ने ओबेरॉय और ट्राइडेंट जैसे होटल दुनियाभर में स्थापित करके भारतीय हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को दुनियाभर में पहचान दिलाई। आज ओबेरॉय ग्रुप की दो लिस्टेड कंपनियां ईआईएच लिमिटेड और ईआईएच एसोसिएटेड होटल्स लिमिटेड हैं। इनका कुल मार्केट कैप करीब 25,000 करोड़ रुपये है। मोहन सिंह ओबेरॉय की एक मामूली क्लर्क से भारतीय हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री का स्तंभ बनने तक की कहानी बहुत ही दिलचस्प है।
मोहन सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई रावलपिंडी में की। फिर वह बैचलर डिग्री के लिए लाहौर गए। इसके बाद वह बेहतर अवसरों की तलाश में शिमला चले गए। जब वह शिमला पहुंचे, तो उनके पास पैसे नहीं थे। उन्हें सेसिल होटल में फ्रंट डेस्क क्लर्क की नौकरी मिली। उन्हें महीने के 50 रुपये मिलते थे। यहीं से मोहन सिंह के करियर की शुरुआत हुई थी। उनकी मेहनत, ऊर्जा और तेज दिमाग ने होटल के अंग्रेज मैनेजर पर गहरा प्रभाव डाला। मोहन सिंह सीखने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे। वह अपनी डेस्क क्लर्क की ड्यूटी से आगे बढ़कर एक्स्ट्रा काम और नई जिम्मेदारियां लेते थे।
शिमला में नौकरी
कुछ साल बाद जब होटल के मैनेजर ने एक छोटा होटल खरीदा, तो ओबेरॉय को अपने साथ काम करने के लिए बुलाया। 1934 में ओबेरॉय ने क्लार्क होटल को खरीदकर होटल कारोबार में कदम रखा। उन्होंने अपनी पत्नी के गहने और अपनी सारी संपत्ति गिरवी रखकर होटल खरीदा। इसके चार साल बाद उन्होंने कलकत्ता में ग्रैंड होटल को लीज पर लिया। इस होटल में 500 कमरे थे। अपने दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास से उन्होंने होटल को एक सफल और लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया।
धीरे-धीरे ओबेरॉय ने एसोसिएटेड होटल्स ऑफ इंडिया (एएचआई) के शेयरों में निवेश किया। इस ग्रुप के पास शिमला, दिल्ली, लाहौर, मुर्री, रावलपिंडी और पेशावर में कई होटल थे। 1943 में उन्होंने एएचआई में कंट्रोलिंग इंटरेस्ट हासिल कर लिया और देश की सबसे बड़ी होटल चेन को मैनेज करने वाले पहले भारतीय बन गए। 1965 में उन्होंने नई दिल्ली में द ओबेरॉय इंटरकॉन्टिनेंटल खोला और फिर 1973 में मुंबई में 35-मंजिला ओबेरॉय शेरेटन बनाकर इस सफलता को और बढ़ाया।

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