ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। बंपर फसल उत्पादन से ग्रामीण परिवारों और किसानों की आय एक साल पहले की तुलना में बढ़ी है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति बेहतर हुई है। वे एक साल के बाद भी अपनी आय बढ़ने की उम्मीद के साथ उपभोक्ता टिकाऊ उत्पादों की खरीदारी को लेकर भी उत्साहित हैं।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे ग्रामीण परिवारों का अनुपात मई के 36.6 फीसदी से बढ़कर जून, 2025 में 39.7 फीसदी पहुंच गया है, जो मानते हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति एक साल पहले से बेहतर हुई है। एक साल बाद आय और बढ़ने की उम्मीद करने वाले ग्रामीण परिवारों का अनुपात बढ़कर रिकॉर्ड 44.8 फीसदी पहुंच गया, जो मई में 38.5 फीसदी था।
इसके विपरीत, ऐसे ग्रामीण परिवारों का अनुपात जून में घटकर 9 फीसदी रह गया, जो मानते हैं कि एक साल में उनकी वित्तीय स्थिति खराब हुई है। एक साल बाद आय बढ़ने को लेकर निराशा जताने वाले परिवारों की हिस्सेदारी मामूली 1.8 फीसदी घटी है।
किसान सर्वाधिक आशावादी
रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल और जून के बीच बंपर फसल उत्पादन के कारण ग्रामीण परिवारों में वर्तमान एवं भविष्य में आय बढ़ने को लेकर आशावाद बढ़ा है। सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून की उम्मीदों ने 2025 में खरीफ फसल अधिक रहने की उम्मीद बढ़ाई है, जिससे ग्रामीण आशावाद को और बढ़ावा मिला है।
वित्तीय स्थिति और बेहतर होने को लेकर आशावाद उन किसान परिवारों में सबसे तेजी से बढ़ा है, जो लगभग पूरी तरह ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। एक साल पहले के मुकाबले बेहतर वित्तीय स्थिति में रहने वाले किसान परिवारों का अनुपात 35.6 फीसदी से बढ़कर जून में 43.1 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया।
ऐसे किसान परिवारों की हिस्सेदारी भी 38.5 फीसदी से बढ़कर 52 फीसदी पहुंच गई है, जो मानते हैं कि अगले साल उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
ग्रामीण, छोटे व्यापारी और मजदूर परिवार मानते हैं कि खरीदारी के लिए यह अच्छा समय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के सुदूर इलाकों में आय के मोर्चे पर उत्साह का मतलब है कि लोगों ने खरीदारी के लिए मजबूत इरादे दिखाए। ऐसे ग्रामीण परिवारों का अनुपात 27.6 फीसदी से बढ़कर जून में 35.5 फीसदी पहुंच गया, जो मानते हैं कि उपभोक्ता टिकाऊ उत्पाद खरीदने का यह अच्छा समय है। इस अवधि में नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले परिवारों का अनुपात घटा है।
ग्रामीण भारत में खरीदारी के इरादे में उछाल किसान परिवारों, छोटे व्यापारी और दिहाड़ी मजदूर परिवारों में भी स्पष्ट रूप से देखा गया। अप्रैल-जून के बीच समग्र रूप से इन परिवारों का अनुपात 7 से 11 फीसदी बढ़ा है, जो इसे खरीदारी के लिए अच्छा समय मानते हैं।































