Site icon World's first weekly chronicle of development news

भारत ने जर्मन कंपनी को दिया छह पनडुब्बियों का कॉन्ट्रैक्ट

80 thousand crore deal with US for nuclear submarines, predator drones
ब्लिट्ज ब्यूरो

बर्लिन। भारतीय नौसेना की एआईपी पनडुब्बी डील जर्मन इंजीनियरिंग और स्टील उत्पादन समूह थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) को मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इस डील को पाने के लिए स्पेन की कंपनी नवंतिया भी दावेदार थी लेकिन भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कुछ दिनों पहले नवंतिया के ऑफर को ठुकरा दिया था। ऐसे में अब थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स कंपनी भारत के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (एमडीएस) के साथ मिलकर भारत में ही छह पनडुब्बियों का निर्माण करेगी। दोनों कंपनियों ने हाल ही में पुष्टि की है कि भारत के रक्षा मंत्रालय ने आगे की प्रक्रिया के लिए डील को हरी झंडी दे दी है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा गया है कि भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कंपनी को वाणिज्यिक वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। मीडिया रिपोर्ट्स में इस परियोजना का मूल्य लगभग 5.2 बिलियन डॉलर बताया गया है, लेकिन अंतिम आंकड़ा इससे अधिक भी हो सकता है। रिपोर्ट में थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के सीईओ ओलिवर बर्कहार्ड ने कहा, साझेदारी में काम करके और जर्मन व भारतीय सरकारों के समर्थन से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स और थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स एक टिकाऊ और सुरक्षित समुद्री भविष्य के लिए मानक स्थापित करेंगे।

रूसी हथियारों पर भारत कितना निर्भर
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2019-2023 तक भारत के रक्षा आयात में रूस का हिस्सा 36% था, जो किसी भी एक देश से सबसे अधिक है। रूसी सैन्य प्लेटफार्मों पर भारत की निर्भरता लगातार बनी हुई है।

Exit mobile version