मनोज जैन
नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी मारुति सुजुकी के शेयरों में एकाएक 2% की तेजी आ गई। कंपनी के शेयर एनएसई पर बढ़कर 12,841 तक पहुंच गए। इस तेजी की बड़ी वजह एक अहम रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार ऑस्ट्रेलिया को रेयर अर्थ मैग्नेट्स का नया स्रोत बनाने पर विचार कर रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार भारत ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील और चिली जैसे देशों के साथ रेयर अर्थ एलीमेंट्स की सप्लाई को लेकर बातचीत कर रहा है। इसका उद्देश्य चीन पर निर्भरता को कम करना और अपनी सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाना है।
मारुति सुजुकी जल्द ही अपनी पहली इलेक्टि्रक कार ई-विटारा लॉन्च करने जा रही है। ईवी यानी इलेक्टि्रक व्हीकल्स में रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल मोटर और अन्य इलेक्टि्रक कंपोनेंट्स में होता है लेकिन, अभी तक भारत इन मैग्नेट्स के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर रहा है।
पिछले कुछ हफ्तों में चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर पाबंदियां लगाई हैं, जिससे दुनियाभर की कंपनियों में हड़कंप मच गया है। मारुति भी इस कारण ई-विटारा की लॉन्चिंग में देरी और उत्पादन लक्ष्य घटाने पर विचार कर रही थी।
रेयर अर्थ मैग्नेट्स की वैश्विक स्थिति
चीनः 44 मिलियन टन के भंडार के साथ दुनिया में चीन टॉप पर है।
भारत ः यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार भारत के पास 6.9 मिलियन टन आरईई है, जो दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा भंडार है।
चीन की ताकत ः दुनिया की 60% से ज्यादा रेयर अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन और 90% से ज्यादा प्रोसेसिंग अकेला चीन करता है।
ऑस्ट्रेलिया बन सकता है विकल्प
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत अब ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से रेयर अर्थ मैग्नेट्स की आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है। इसके अलावा, भारत में ही क्रिटिकल मिनरल्स का उत्पादन बढ़ाने और रीसायकल सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए काम चल रहा है। पिछले हफ्ते वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा था कि भारत कई देशों के साथ सप्लाई चेन मजबूत करने पर बातचीत कर रहा है और चीन के साथ भी इस मुद्दे पर कूटनीतिक स्तर पर चर्चा जारी है।
शेयर मार्केट में मारुति की चाल
आज सुबह 10 बजे तक मारुति सुजुकी के शेयर 12,839 पर ट्रेड कर रहे थे, जो पिछले दिन की क्लोजिंग से लगभग 2% ज्यादा था। इस साल की शुरुआत से अब तक मारुति के शेयरों में करीब 19% की तेजी आ चुकी है।
चिंता अभी बाकी है?
हालांकि, ऑस्ट्रेलिया से रेयर अर्थ मैग्नेट्स मिलना एक राहत जरूर है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि ये सप्लाई चीन के मुकाबले महंगी हो सकती है, क्योंकि वहां उत्पादन कम होता है। चीन दुनिया का करीब 90% रेयर अर्थ मैग्नेट्स उत्पादन करता है।
सरकार के बड़े कदम
सरकार ने सभी खदानों को आदेश दिया गया है कि वे अपने खनन अपशिष्ट में आरईई की मौजूदगी की जांच करें। पहले जिन मिनरल्स को ‘माइनर’ माना जाता था (जैसेः क्वार्ट्ज, मिका), अब उनमें छिपे क्रिटिकल मिनरल्स की भी पहचान और निष्कर्षण अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा बैरीट्स, फेल्सपार, क्वार्ट्ज जैसे खनिजों को अब मेजर मिनरल्स घोषित कर दिया गया है, जिससे इनसे जुड़ी कीमती एलीमेंट्स की खोज आसान होगी।
मारुति सुजुकी और भारत के ऑटो सेक्टर के लिए यह एक बड़ा स्ट्रेटेजिक मोमेंट हो सकता है। अगर भारत ऑस्ट्रेलिया या अन्य देशों से रेयर अर्थ मैग्नेट्स मंगाने में सफल हो जाता है, तो यह केवल मारुति के ईवी प्लान्स के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश की ईवी इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद साबित होगा।



























