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रेलवे के सहयोग से हिन्दू कॉलेज में देश की पहली पब्लिक पॉलिसी लैब

India's first public policy lab in Hindu College in collaboration with Railways
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में देश की पहली पब्लिक पॉलिसी लैब स्थापित की है। यह उपलब्धि उच्च शिक्षा में नीति-चिंतन और अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस लैब का उद्घाटन नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने किया। इससे देश को आर्थिक मजबूती देने में मदद मिलेगी।
सुब्रह्मण्यम ने इस लैब को भारत के 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे-जैसे विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, हमें ऐसे संस्थानों की जरूरत है जो न केवल शिक्षा दें, बल्कि नए विचार और समाधान भी लाएं। हिंदू कॉलेज की यह लैब नीति-निर्माण के क्षेत्र में भारत को नई दिशा देगी।
नीति-निर्माण की वास्तविक चुनौतियों पर काम करेगी
यह लैब इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन (आईआरएफसी) और हिंदुस्तान स्टील वर्क्स कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (एच एससीएएल) के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर ) सहयोग से बनाई गई है। यह नीति-निर्माण की वास्तविक चुनौतियों पर काम करेगी, जिसमें नीतियों का सिमुलेशन, जमीनी स्तर पर अनुसंधान और व्यावहारिक अध्ययन शामिल होंगे।
‘विकसित भारत’ का सपना पूरा होगा
आईआरएफसी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज कुमार दुबे ने कहा कि यह लैब सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि एक जीवंत विचार है। यह ‘विकसित भारत’ के प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने में मदद करेगी। हिंदू कॉलेज के साथ हमारी यह साझेदारी भविष्य के नीति-निर्माताओं को तैयार करने का एक अनोखा प्रयास है। हिंदू कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. अंजु श्रीवास्तव ने इसे कॉलेज और दिल्ली के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि यह लैब नई शिक्षा नीति के लक्ष्य के साथ पूरी तरह मेल खाती है। हम नीति-चिंतन और अनुसंधान को बढ़ावा देकर देश में एक नया अकादमिक मॉडल स्थापित कर रहे हैं।
लैब के कार्यक्रम और योजनाएं
पब्लिक पॉलिसी लैब ने अपना पहला प्रमुख कार्यक्रम ‘पब्लिक पॉलिसी इन एक्शन’ शुरू कर दिया है। यह एक सर्टिफिकेशन कोर्स है, जो स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए बनाया गया है। इसके अलावा, लैब राष्ट्रीय कार्यशालाएं, अकादमिक आदान-प्रदान कार्यक्रम और नीति फेलोशिप योजनाएं शुरू करेगा। इनमें भारत और विदेशों के विशेषज्ञों और छात्रों की भागीदारी होगी।

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