विनोद शील
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो ने ब्लूबर्ड-2 मिशन लॉन्च किया। इस मिशन में बाहुबली एलवीएम3-एम6 रॉकेट ने अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के ब्लूबर्ड-2 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में स्थापित कर दिया। यह एलवीएम3 रॉकेट के इतिहास में अब तक का सबसे भारी पेलोड (6100 किलोग्राम) है जिसे बुधवार 24 दिसंबर को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
इस मिशन की लॉन्चिंग सुबह 8:54 बजे आईएसटी सेकंड लॉन्च पैड से हुई। 43.5 मीटर ऊंचे व 640 टन वजन वाले इस रॉकेट ने लगभग 15 मिनट की उड़ान के बाद सैटेलाइट को 520 किमी की ऊंचाई पर 53 डिग्री इंक्लिनेशन वाली सर्कुलर ऑर्बिट में छोड़ा।
इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने कहा, ‘एलवीएम3-एम6 ने ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट को सटीक तरीके से सही कक्षा में पहुंचा दिया। यह भारतीय जमीन से भारतीय रॉकेट से लॉन्च किया गया सबसे भारी सैटेलाइट है। यह एलवीएम3 का तीसरा पूरी तरह कमर्शियल मिशन है और इस रॉकेट ने अपना शानदार रिकॉर्ड बरकरार रखा। दुनिया के किसी भी लॉन्च व्हीकल की यह सबसे अच्छी परफॉर्मेंस में से एक है।’
दक्षिण कोरिया में लॉन्चिंग
के समय दुर्घटना
दक्षिण कोरिया का पहला व्यावसायिक ऑर्बिटल रॉकेट, हनबिट-नैनो, ब्राजील से लॉन्च होने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह घटना कोरियाई टाइमिंग के अनुसार मंगलवार 23 दिसंबर को हुई जब रॉकेट के ऑपरेटर, इनस्पेस कंपनी ने बताया कि लॉन्च के 30 सेकंड बाद ही इसमें खराबी आ गई और वह जमीन पर गिर गया। अच्छी बात यह है कि रॉकेट एक सुरक्षित क्षेत्र में गिरा, जिससे किसी भी तरह की जनहानि या अतिरिक्त नुकसान की कोई खबर नहीं है। यह लॉन्च ब्राजील के अल्कांतारा स्पेस सेंटर से हुआ था। इनस्पेस के अनुसार, रॉकेट में पांच सैटेलाइट थे, जिन्हें 300 किमी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाना था।
ब्राजील में लॉन्चिंग के दौरान
हुआ था बड़ा हादसा
इससे पहले खास मिशन की लॉन्चिंग के दौरान हादसे की चौंकाने वाली घटना साल 2003 में ब्राजील के अल्कांतारा स्पेस सेंटर में हुई थी। वीएलएस-1 वी03 रॉकेट लॉन्च से कुछ दिन पहले ही लॉन्च पैड पर ये फट गया था। इस दर्दनाक घटना में 21 साइंटिस्ट और टेक्निशियन की जान चली गई थी। इससे ब्राजील के अंतरिक्ष कार्यक्रम को करारा झटका लगा था। ये कोई अकेली घटना नहीं थी।
जापान में भी ऐसा ही हादसा हुआ जब मार्च 2023 में एच3 रॉकेट में खराबी आ गई थी। ये घटना 7 मार्च, 2023 को हुई थी जब एच3 रॉकेट की लॉन्चिंग में दूसरे स्टेज पर इसका इंजन काम नहीं कर सका था। इससे वह अपनी निर्धारित कक्षा तक नहीं पहुंच सका। नतीजा ये हुआ कि जापान का एएलओएस-3 उपग्रह नष्ट हो गया और लॉन्च विफल हो गया था। ये जापान के मिशन को तगड़े झटके से कम नहीं था।
एलवीएम3 की क्या है खासियत?
एलवीएम3 इसरो का तीन स्टेज वाला रॉकेट है। इसमें दो सॉलिड बूस्टर, लिक्विड कोर स्टेज और क्रायोजेनिक अपर स्टेज है। इसका वजन 640 टन है और यह लो अर्थ ऑर्बिट में भारी पेलोड ले जा सकता है। पहले इसने चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वनवेब के 72 सैटेलाइट लॉन्च किए थे। यह इसकी नौवीं सफल उड़ान थी और 100 प्रतिशत सफलता दर बरकरार है। इस सफलता से भारत वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में और मजबूत हुआ है।
कई देश जो अपने मिशन में रहे फेल
इसरो की 100 फीसदी सफलता वाली एलवीएम3 सीरीज की यह छठी उड़ान है जो पहले चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वनवैब के 72 सैटेलाइट्स लॉन्च कर चुकी है। ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 मिशन से मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी में कई अहम बदलाव आएंगे। इसरो की ये कामयाबी इसलिए भी खास है क्योंकि कई और देशों को इस तरह के अंतरिक्ष मिशन के दौरान तगड़े झटके लगे थे। उन्होंने स्पेस मिशन को लेकर तैयारी तो बहुत की थी लेकिन प्रक्षेपण के समय तगड़ा झटका लगा था। इसमें ब्राजील, जापान, दक्षिण कोरिया के नाम प्रमुख हैं।
स्पेस मार्केट में यूं ही नहीं बज रहा इसरो का डंका…

