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पौष्टिक भोजन से वंचित हैं पौने तीन अरब से अधिक लोग

More than three billion people are deprived of nutritious food
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। दुनियाभर में हो रहे युद्ध, संघर्षों, टकराव, आर्थिक अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन के तगड़े झटकों ने विनाशकारी भूख और कुपोषण संकट को जन्म दिया है। खासतौर पर बच्चों में इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। दुनियाभर में 2.8 अरब से अधिक लोग पौष्टिक भोजन से वंचित हैं। अस्वास्थ्यकर भोजन सभी प्रकार के कुपोषण का प्रमुख कारण है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की एक रिपोर्ट में सामने आई है।

रिपोर्ट के अनुसार ज्यादा कमजोर लोगों को अक्सर मुख्य खाद्य पदार्थों से वंचित और कम महंगे खाद्य पदार्थों पर निर्भर रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जो सेहत के लिए हानिकारक हैं। ये लोग ताजे या अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थों के सेवन से पूरी तरह वंचित हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से तीव्र चरम मौसम की घटनाएं भी कुपोषण और भुखमरी का एक बड़ा कारण बनती जा रही हैं। ज्यादा आबादी, असुरक्षित आवास, संक्रामक रोग, महामारी, शहरीकरण जैसे कारक भी कम पोषण की वजह हैं।

विश्व खाद्य संगठन (डब्ल्यूएफओ) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में दुनिया में 33 करोड़ लोगों को गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा था। यह लोग भुखमरी जैसे हालात में गुजर बसर कर रहे थे। 2024 में बढ़ते युद्धों, टकरावों और तेजी से होते जलवायु परिवर्तन के कारण भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या 73.3 करोड़ होने का अनुमान है। दुनिया का हर 11 वां व्यक्ति भुखमरी से जूझ रहा है।

भारत की सराहना
एफएओ के अनुसार, भारत ने कुपोषण, गरीबी उन्मूलन और कृषि स्थिरता पर केंद्रित विविध कार्यक्रमों और नीतियों के जरिये कड़ाई से मुकाबला कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। भारत के विभिन्न खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों में कम आय वाले परिवारों, बच्चों और बुजुर्गों पर गौर करने वाली राष्ट्रीय योजनाएं और स्थानीय पहल शामिल हैं। इस वर्ष की विश्व खाद्य दिवस की थीम के अनुरूप भारत के प्रयास करोड़ों लोगों के जीवन को ज्यादा से ज्यादा बेहतर बनाने में अहम हैं।

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