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राष्ट्रीय आजीविका मिशन ने बदली महिलाओं की किस्मत

National Livelihood Mission changed the fate of women
ब्लिट्ज ब्यूरो

दुर्ग। महिलाओं को व्यवसाय से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू किए गए राष्ट्रीय आजीविका मिशन का असर देखने को मिल रहा है। इसके तहत मिशन से जुड़कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं। दुर्ग जिले के ग्राम बोरीगरका की सिद्धी स्वसहायता समूह की महिलाएं भी इस योजना का लाभ लेकर पिछले 5 वर्षों से मोमबत्ती बनाकर उसे बेचने का व्यवसाय कर रही हैं।

महिलाओं के हाथों से बनी कैंडल की डिमांड आसपास के जिलों में काफी है। यहां महिलाएं बड़ी मात्रा में सांचों का इस्तेमाल करके डिजाइन की मोमबत्तियां तैयार करती हैं और उसे बेचती हैं। इसके लिए महिलाएं कच्चा माल स्थानीय बाजार से खरीदती है। समूह की महिलाओं की मानें तो इस व्यवसाय के लिए उन्हें शासन से सहयोग राशि प्राप्त हुई। इससे इन्होंने मोमबत्ती बनाने का व्यवसाय शुरु किया, जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है।

सिद्धी स्व सहायता समूह अध्यक्ष पुष्पा साहू ने बताया कि हमारे समूह द्वारा दिवाली पर कैंडल बनाने का काम किया जाता है। समूह में 11 महिलाएं हैं। मोमबत्ती जगदलपुर, बस्तर, बिलासपुर समेत आसपास के जिलों में सप्लाई की जाती है। पिछले 5 वर्षों से समूह की महिलाएं बेहतर तरीके से दीवाली मना पा रही हैं। हम लोग मोमबत्ती बनाने का काम 2 महीने पहले ही शुरू कर देते हैं, ताकि आने वाले आर्डर को पूरा किया जा सके।
आपको बता दें कि आसपास के गांव और दुर्ग भिलाई से भी ऑर्डर आता है। बोरीगर की सरपंच गुंजेश्वरी साहू ने बताया कि वो स्वयं भी इन महिलाओं से मोमबत्ती की खरीद करती हैं। साथ ही उनके व्यवसाय में मदद भी करती हैं। मोमबत्ती के व्यवसाय से मुनाफा कमा कर आज यह महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं।

समूह में 5 साल से जुड़ी हूं
2019 से कैंडल का काम शुरू किया गया है। बहुत अच्छा क्वालिटी है। बहुत सुंदर है आसपास के जिले वाले गांव वाले ग्राम पंचायत सिद्धी स्व सहायता समूह समूह की अच्छी कमाई हो रही है
-शशि बघेल, सदस्य महिला समूह

सिद्धी स्व सहायता समूह की सचिव सरोज साहू भी कैंडल बनाने का काम करती हैं। सरोज साहू के मुताबिक दिवाली से 4 महीने पहले काम शुरू कर देते हैं ताकि त्यौहार में माल की कमी ना हो। हम लोग कैंडल का सबसे पहले सांचा उपयोग करते हैं। धागा भी उपयोग करते हैं। सांचे को रायपुर से लेकर आए थे, इसी से बनाते हैं। वैक्स होता है मोमबत्ती पिघला के बनाते हैं। पिघलने के बाद सांचे में मोम डालते हैं। 15 मिनट में मोमबत्ती तैयार हो जाती है
– सरोज साहू, सचिव, महिला स्वसहायता समूह

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