ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। नेशनल मेडिकल कांउसिल (एनएमसी) ने दिल्ली में अपनी अनिवार्य इंटर्नशिप कर रहे फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट (एफएमजीएस) के सामने आ रही परेशानियों को देखते हुए बड़ा फैसला लिया है। काउंसिल ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) के उस सुझाव पर अपनी सहमति दे दी है, जिसमें एफएमजीएस को स्टाइपेंड न देने की छूट मांगी गई थी, उन छात्रों के लिए, जो अपनी मर्जी से स्टाइपेंड छोड़ने को तैयार हैं।
एफएमजीएस की एक साल कंपल्सरी रोटेटिंग इंटर्नशिप ट्रेनिंग पूरा करने में आ रही दिक्क तों और हो रही देरी खत्म करने के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
डीएमसी ने 17 अप्रैल को नेशनल मेडिकल काउंसिल को एक पत्र लिखा था। उसमें एफएमजी की इंटर्नशिप और स्टाइपेंड से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान दिलाया था। दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने सुझाव दिया था कि उन एफएमजीएस के लिए स्टाइपेंड की शर्तों में ढील दी जाए, जो इसे अपनी मर्जी से छोड़ने को तैयार हैं। ताकि उनकी मेडिकल इंटर्नशिप प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।
एनएमसी ने डीएमसी के इस प्रस्ताव की समीक्षा की और इसे लेकर एक आदेश जारी किया है। इसमें लिखा है कि ‘एफएमजीएल रेगुलेशंस, 2021 के अनुसार इंटर्न्स को स्टाइपेंड देना राज्य का मामला है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग केवल एक नियामक संस्था है। छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों को कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि, यह साफ है कि जो मेडिकल स्टूडेंट्स अपनी मर्जी से स्टाइपेंड छोड़ना चाहते हैं, उन पर यह नियम लागू होता है।’
छात्रों को क्या फायदा होगा?
चिकित्सा आयोग के इस फैसले से उन फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, जो दिल्ली में इंटर्नशिप पूरी करने में स्टाइपेंड संबंधी नियमों के कारण देरी का सामना कर रहे थे। अब अगर कोई एफएमजी स्टूडेंट अपनी मैनडेटरी इंटर्नशिप को जल्द पूरा करने के लिए अपनी मर्जी से स्टाइपेंड छोड़ने को तैयार होता है, तो संस्थान (जैसे- अस्पताल) और डीएमसी के लिए उन्हें बिना स्टाइपेंड के इंटर्नशिप जारी रखने की अनुमति देना आसान होगा। यह कदम विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर भारत लौटने वाले एफएमजीएस की अनिवार्य ट्रेनिंग को समय पर पूरा करने और उनके मेडिकल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करेगा।