ब्लिट्ज ब्यूरो
नोएडा। उत्तर प्रदेश के जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर दायरे में किसी भी प्रकार का निर्माण करने या पेड़ लगाने से पहले अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होगा। विमानों की सुरक्षित लैंडिंग और टेकऑफ के दृष्टिगत हवाई परिस्थिति तंत्र को सुरक्षित बनाने के लिए यह यह निर्णय लिया गया है।
यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (यापल) की सीओओ किरण जैन ने बताया कि जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा की अध्यक्षता में एयरपोर्ट पर्यावरणीय समिति की समीक्षा बैठक हुई थी। इस दौरान गलती से 10 किलोमीटर दायरे में अवैध निर्माण ध्वस्त करने व बिना एनओसी निर्माण न करने का आदेश जारी हो गया था।
उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट के पास भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की एनओसी के बिना कोई भी निर्माण गतिविधि, ढांचा खड़ा करना या पेड़ लगाने की अनुमति नहीं है। एयरपोर्ट का संचालन नजदीक है। ऐसे में उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ ही बिल्डरों और स्थानीय अधिकारियों के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा निर्धारित ऊंचाई के तहत अनुमति लेकर निर्माण करने की अपील की है। ऐसे में अब एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर के दायरे में किसी भी ऊंचे विकास को शुरू करने से पहले अनुमति लेनी होगी।
प्राधिकरण ऊंचाई सीमा का आकलन करने के लिए एएआई द्वारा जारी कलर-कोडेड जोनिंग मैप (सीसीजेडएम) से परामर्श करेंगे। निर्माण ऊंचाई के आधार पर आवेदक एएआई के https://nocas2.aai.aero/nocas पोर्टल पर ऊंचाई एनओसी के लिए आवेदन कर सकते हैं। प्रथम चरण के लिए 1334 हेक्टेयर में नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण कार्य चल रहा है।
सीओओ ने कहा कि हवाई क्षेत्र के भीतर कोई भी निर्माण ऑब्स्टेकल लिमिटेशन सरफेसेस (ओएलएस) और नेविगेशन सिस्टम के लिए गंभीर जोखिम पैदा करेगा, जिससे विमान को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने बिल्डरों, भूस्वामियों और निवासियों द्वारा हवाई क्षेत्र के भीतर किसी भी अनधिकृत विकास गतिविधि को रोकने के लिए जिला प्रशासन से मांग की है। उन्होंने कहा कि विमान (भवन और पेड़ों से उत्पन्न बाधाओं को गिराना) नियम 2023 अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई शुरू करने का अधिकार देते हैं, जिसमें अनधिकृत संरचनाओं या पेड़ों को गिराना और विमान नियमों के तहत दंड लगाना शामिल है।































