ब्लिट्ज ब्यूरो
सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में अब कूड़ा समस्या नहीं बल्कि ऊर्जा और खाद उत्पादन का स्रोत बनेगा। नगर निगम और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के बीच एक महत्वपूर्ण करार हुआ जिसके तहत जैविक कचरे से सीबीजी (कंप्रेस्ड बायोगैस) और जैविक खाद का उत्पादन किया जाएगा।
यह प्लांट घुन्ना महेश्वरी गांव में स्थापित किया जाएगा और अगले 18 महीनों में इसका संचालन शुरू होने की उम्मीद है। परियोजना सहारनपुर को कूड़ा प्रबंधन के पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ाकर सर्कुलर इकोनॉमी की दिशा में ले जाएगी, जहां कूड़ा एक उपयोगी संसाधन बन जाता है।
नगर निगम के अपर नगरायुक्त मृत्युंजय के अनुसार, सहारनपुर में रोजाना लगभग 391 मीट्रिक टन ठोस कचरा निकलता है, जिसमें से बड़ी मात्रा जैविक कचरे की होती है। इस जैविक कचरे का उपयोग कर बीपीसीएल को प्रतिदिन 150 से 180 टन सामग्री की आपूर्ति की जाएगी, जिससे 5-8 टन सीबीजी और 20 टन खाद का उत्पादन संभव होगा। संयंत्र की कुल क्षमता 150 टन प्रतिदिन की होगी।
निर्माण कार्य के लिए जमीन पहले से तैयार
नगरायुक्त शिपू गिरी ने बताया कि यह प्रोजेक्ट पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर आधारित है। भूमि पहले ही क्रय की जा चुकी है और नगर निगम द्वारा वहां चारदीवारी और शेड निर्माण का कार्य भी पूरा कर लिया गया है। प्लांट का निर्माण और संचालन बीपीसीएल द्वारा किया जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण और
ऊर्जा उत्पादन में मिसाल
महापौर डॉ. अजय कुमार ने इस करार को शहर के लिए स्वर्णिम अवसर बताते हुए कहा कि यह परियोजना न केवल कूड़े की समस्या का समाधान करेगी, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह योजना सहारनपुर को एक मॉडल शहर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।































