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राजनीतिक दलों के सामने एक बार फिर अग्निपरीक्षा की घड़ी

Elections
विनोद शील

नई दिल्ली। चुनाव के अखाड़े में राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ एक बार फिर क्षेत्रीय दलों के लिए अपनी-अपनी साख बचाने के लिए दो राज्यों में अग्निपरीक्षा देने की घड़ी आ गई है। भारत के निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी है। झारखंड की 81 विधानसभा सीटों के लिए मतदान दो चरणों में क्रमश: 13 और 20 नवंबर को होंगे और महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में 20 नवंबर को मतदान होगा। चुनाव नतीजों के लिए दोनों राज्यों की मतगणना 23 नवंबर को होगी। यह कहना गलत नहीं होगा कि दोनों राज्यों में जो स्थितियां हैं; चुनाव नतीजे आने के बाद उनसे देश के राजनीतिक परिदृश्य और समीकरणों में बदलाव अवश्य आएगा। उल्लेखनीय है कि साल 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी महाराष्ट्र व झारखंड के राजनीतिक माहौल में बहुत कुछ घटा था।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के संवाददाता सम्मेलन में झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही दोनों राज्यों में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार महाराष्ट्र में 22 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होगी तथा नामांकन की आखिरी तिथि 29 अक्टूबर होगी। नामांकन पत्र 4 नवंबर, 2024 तक वापस लिए जा सकते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है।

– महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान
– झारखंड की 81 विधानसभा सीटों के लिए 13 और 20 नवंबर को वोटिंग
– नतीजों के लिए दोनों राज्यों की मतगणना 23 नवंबर को होगी

महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या
महाराष्ट्र में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 9.63 करोड़ है, जिनमें 4.97 करोड़ पुरुष मतदाताओं की संख्या है। वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 4.66 करोड़ है। अगर युवा मतदाताओं की बात करें तो इनकी संख्या 1.85 करोड़ है जबकि पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या 20.93 लाख है। महाराष्ट्र में कुल 52 हजार 789 जगहों पर एक लाख 186 पोलिंग स्टेशन होंगे। इसमें शहरी इलाकों में 42 हजार 604 और ग्रामीण इलाकों में 57 हजार 582 हैं। वहीं एक पोलिंग स्टेशन पर तकरीबन 960 मतदाताओं के वोट डालने का एवरेज हैं।

झारखंड में मतदाताओं की संख्या
कुमार ने बताया कि झारखंड में मतदाताओं की कुल संख्या 2.6 करोड़ है। इनमें 1.29 करोड़ महिलाएं और 1.31 करोड़ पुरुष मतदाता हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार मतदान के पात्र युवाओं की कुल संख्या 11.84 लाख है। कुमार ने कहा कि झारखंड में कुल 29,562 मतदान केंद्रों की स्थापना की जाएगी। इनमें से 5042 मतदान शहरी इलाकों में जबकि 24,520 केंद्र ग्रामीण इलाकों में होंगे। झारखंड में विधानसभा की 81 सीट हैं। इनमें 44 सामान्य, 28 अनुसूचित जनजाति और नौ अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। झारखंड में साल 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठबंधन ने राज्य की 81 में से 47 सीट जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। इसके बाद हेमंत सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। इस चुनाव में भाजपा 25 सीट पर सिमट गई थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास भी चुनाव हार गए थे। पिछले पांच सालों में झारखंड में महाराष्ट्र की तरह कोई बहुत बड़ा राजनीतिक उलटफेर तो नहीं हुआ लेकिन इस दौरान झामुमो में घटे कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। मुख्यमंत्री सोरेन को जमीन घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक कथित मामले में जनवरी 2024 में गिरफ्तार कर लिया गया। सोरेन ने गिरफ्तारी से पूर्व मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और नए मुख्यमंत्री के रूप में झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन के करीबी सिपहसालार चम्पई सोरेन की ताजपोशी हुई।

हालांकि, जून महीने में हेमंत सोरेन के जमानत पर रिहा होने के बाद चम्पई सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा और एक बार फिर राज्य की कमान हेमंत सोरेन के हाथों में आई गई। इस घटनाक्रम के कुछ दिनों बाद चम्पई सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। झारखंड में भाजपा का ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) और जनता दल (यूनाईटेड) के साथ गठबंधन है। इस बार तीनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इस गठबंधन का मुकाबला झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन से होगा। महाराष्ट्र में फिलहाल महायुति गठबंधन की सरकार है जिसके मुखिया शिवसेना के एकनाथ शिंदे हैं। सत्ताधारी गठबंधन में शिवसेना के अलावा भारतीय जनता पार्टी और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल है। दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) है। इसमें उद्धव बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और वरिष्ठ नेता शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) शामिल हैं। साल 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद महाराष्ट्र की राजनीति बिल्कुल बदल गई है। 2019 का विधानसभा चुनाव भाजपा और अविभाजित शिवसेना ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बैनर तले साथ मिलकर लड़ा था। राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 165 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे और वह 105 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। शिवसेना ने 126 सीट पर चुनाव लड़ा था और उसे 56 पर जीत मिली थी। कांग्रेस ने 147 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे और उसे 44 सीट पर जीत मिली थी जबकि राकांपा को 121 में से 54 सीट पर जीत हासिल हुई थी।

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