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सप्ताह भर की अधूरी नींद के लिए काफी है वीकेंड का एक दिन

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ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। भागदौड़ भरी जिंदगी और बिजी शेड्यूल के बीच आजकल लोग बेहतर नींद नहीं ले पाते हैं। जिंदगी की दौड़ में आगे रहने के लिए उन्हें अपनी नींद में कटौती करनी पड़ती है। इसका सीधा असर उनकी सेहत पर पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार, वीकेंड पर देर तक सोने से न केवल खोई हुई नींद की भरपाई हो सकती है, बल्कि हार्ट डिजीज का जोखिम भी पांचवें हिस्से तक कम हो सकता है यानि आपकी सप्ताह भर की अधूरी नींद के लिए वीकेंड का एक दिन काफी है। इससे दिल की बीमारी का जोखिम 20 प्रतिशत तक कम हो जाता है।

शोधकर्ताओं ने किया ये दावा
यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी की ओर से किए गए अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि छुट्टी वाले दिन कहीं जाने की जल्दी नहीं होती इसलिए देर तक सोना चाहिए। इससे नींद की भरपाई हो सकती है। साथ ही दिल की बीमारी का जोखिम भी कम हो सकता है। यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने भी इस पर मुहर लगाई है।

88 प्रतिशत आबादी को नींद की कमी
देश की 88 प्रतिशत आबादी को रात को पर्याप्त नींद की कमी होती है। इससे दिल की बीमारियों समेत हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापा का खतरा बढ़ जाता है। मुख्य वजह यह है कि नींद की कमी से स्ट्रेस वाला हार्मोन ज्यादा रिलीज होता है। इससे दिल समेत पूरे शरीर में सूजन बढ़ती है जिससे हृदयाघात का जोखिम बढ़ जाता है।

पर्याप्त नींद से लाभ
एक अन्य स्टडी के मुताबिक पर्याप्त नींद हार्ट डिजीज के कम जोखिम से जुड़ी है। यह संबंध उन व्यक्तियों में और भी स्पष्ट हो जाता है, जो हफ्ते के दिनों में नियमित रूप से अपर्याप्त नींद का अनुभव करते हैं। बीजिंग के फुवाई अस्पताल में संक्रामक रोग की प्रयोगशाला के अध्ययन लेखक यानजुन सोंग ने यह बात कही। यह प्रयोगशाला हार्ट डिजीज के लिए राष्ट्रीय केंद्र भी है।

वीकेंड की नींद और हार्ट हेल्थ के बीच संबंध
नींद के पैटर्न को मापने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक उपकरण एक्सेलेरोमीटर, यूके बायोबैंक परियोजना में 90,903 प्रतिभागियों से नींद के डेटा को इकट्ठा करने के लिए लेखकों द्वारा इस्तेमाल किया गया था ताकि वीकेंड की नींद और हार्ट डिजीज के बीच संबंध का आकलन किया जा सके।

जानिए कब मिली सबसे ज्यादा नींद की कमी
स्टडी के लिए प्रतिभागियों को 4 क्वार्टर्स में विभाजित किया गया। इसमें पहली तिमाही में नींद की कमी सबसे कम थी। चौथी तिमाही में सबसे ज्यादा नींद की कमी थी, जिन व्यक्तियों ने प्रति रात 7 घंटे से कम नींद लेने की रिपोर्ट की, उन्हें नींद की कमी से पीड़ित माना गया। कुल व्यक्तियों में से 19,816 (21.8 प्रतिशत) को नींद से वंचित के रूप में वर्गीकृत किया गया था। ग्रुप के शेष सदस्यों को कभी-कभी अपर्याप्त नींद मिली होगी, लेकिन कुल मिलाकर उनके डेली नींद के घंटे नींद की कमी के मानकों को पूरा नहीं करते थे।

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