ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। पुणे बस दुष्कर्म कांड पर हंगामे के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने 2012 के निर्भया कांड को याद किया। साथ ही कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों को केवल कानून बनाने से नहीं बल्कि उनके उचित कार्यान्वयन से रोका जा सकता है।
चंद्रचूड़ मुंबई में एक कार्यक्रम से इतर पुणे की घटना पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि निर्भया कांड के बाद कानूनों में काफी बदलाव किए गए पर हम केवल कानून बनाकर ऐसी घटनाओं को नहीं रोक सकते। समाज के कंधों पर भी बड़ी जिम्मेदारी है। बड़ी संख्या में महिलाएं काम आदि के लिए जाती हैं। इसलिए उनके लिए बनाए गए कानूनों का उचित क्रियान्वयन किया जाना चाहिए, ताकि वे सुरक्षित महसूस करें और अपना काम कर सकें। उन्होंने उचित जांच, कड़ी कार्रवाई, त्वरित सुनवाई और सजा की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
एआई सहायता कर सकता है, पर निर्णय नहीं
चंद्रचूड़ ने कहा कि भले वर्चुअल कोर्ट पहुंच में सुधार करते हैं, लेकिन इसने निष्पक्ष सुनवाई को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। कहा कि ही नवाचार और न्यायिक अखंडता के बीच संतुलन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एआई केस मैनेजमेंट को बदल रहा है। कानूनी प्रक्रियाओं को तेज और अधिक कुशल बना रहा है लेकिन, हाल की घटनाएं, जैसे कि एक वकील को एआई का उपयोग कर फर्जी केस की नजीर देने के लिए दंडित किया जाना साबित करता है कि मशीनें मदद तो कर सकती हैं, लेकिन मानवीय निर्णय का स्थान नहीं ले सकतीं।

