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वैज्ञानिकों ने बनाई सोच को शब्दों में बदलने वाली मशीन

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ब्लिट्ज ब्यूरो

वाशिंगटन। बोल पाने में असमर्थ लोगों को भी अब आवाज मिलने की उम्मीद जगी है। एक अमेरिकी कंपनी ने नया यंत्र बनाया है, जो दिमाग की तरंगों (सोच) को पढ़कर शब्दों में बदल देगा। इस खास ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) डिवाइस को अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इंसानों पर परीक्षण की इजाजत दे दी है। वर्ष 2026 की शुरुआत में पहले दो मरीजों के दिमाग में यह छोटी-सी डिवाइस लगाई जाएगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में लाखों लोग चोट, स्ट्रोक, मस्तिष्क में क्षति या जन्मजात दोष के कारण बोलने में असक्षम हैं। दुनिया में 10 से 15% बच्चे स्पीच साउंड डिसऑर्डर से पीड़ित हैं और सात फीसदी बच्चों में लैंग्वेज डिसऑर्डर है, जिसमें बोलने, समझने या शब्द बनाने की समस्या। होती है। भारत में भी करीब 30 लाख लोग विभिन्न कारणों से बोलने में असक्षम हैं।
ऐसे लोगों के भी अमेरिकी कंपनी पैराड्रोमिक्स की तरफ से तैयार इस डिवाइस की मदद से बोलने की उम्मीद जगी है। इस तरह के शोध और प्रयोगों से दुनियाभर के वैज्ञानिक भी उत्साहित हैं।
यंत्र ऐसे काम करेगा
जिन लोगों का दिमाग ठीक है, मगर किसी बीमारी या चोट की वजह से वे बोल नहीं पाते (जैसे ब्रेन स्ट्रोक वालों को) हैं, यह डिवाइस उनको आवाज देगी। इसके लिए होंठ, जीभ और गले को कंट्रोल करने वाले दिमाग के हिस्से में छोटा सा एक मॉड्यूल (7.5 एमएम का) लगाया जाएगा। वे दिमाग में जो भी सोचेंगे, उनकी तरंगों का पढ़कर डिवाइस कंप्यूटर के माध्यम से आवाज में बदल देगा। अगर सब ठीक रहा तो ट्रायल को 10 मरीजों तक बढ़ाया जाएगा।
एलन मस्क की कपंनी ने
भी बनाई स्मार्ट चिप
एलन मस्क की न्यूरालिंक कंपनी भी ऐसी चिप बना चुकी है, जो लकवाग्रस्त लोगों के लिए नई उम्मीद है। गत वर्ष जनवरी में न्यूरालिंक ने लकवाग्रस्त युवक के दिमाग में यह चिप लगाई थी। इसके जरिए युवक ने सिर्फ सोचकर ही हाथ हिलाए, शतरंज एवं वीडियो गेम खेले और मैसेज टाइप किया। वहीं, न्यूयॉर्क की एक और कंपनी सिंक्रोन की बनाई डिवाइस स्टेंट्रोड भी ऐसे ही काम करती है। इसे नस में लगाया जाता है। यह दिमाग की सतह को छेदे बिना न्यूरॉन की गतिविधि रिकॉर्ड करती है।

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