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मिडिल क्लास के लिए इनकम टैक्स में ‘शर्मा जी’ ने लगाई राहत की गुहार

Sitharaman
संदीप सक्सेना

नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिडिल क्लास के लिए राहत की गुहार लगाई तो उनकी अपील ने सबका ध्यान खींचा। ‘एक्स’ पर तुषार शर्मा नाम के एक यूजर ने बहुत से लोगों की भावनाओं को व्यक्त करते हुए लिखा, ‘मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं कि मध्यम वर्ग को कुछ राहत देने पर विचार करें। मैं इससे जुड़ी कठिनाइयों को समझता हूं, लेकिन ये बस एक दिल से की गई प्रार्थना है।’ बढ़ती महंगाई के बीच उनकी इस अपील ने बड़ी संख्या में लोगों के तार छू लिए।

सीतारमण ने तुरंत जवाब देते हुए उनकी चिंता को स्वीकार किया। यूजर को आश्वस्त किया कि उनका संदेश अनसुना नहीं गया है। उन्होंने जवाब दिया, ‘पीएम मोदी की सरकार लोगों की आवाज सुनती है और उस पर ध्यान देती है। आपका इनपुट मूल्यवान है।’

सीतारमण ने क्या कहा?
वित्त मंत्री ने यूजर को जवाब देते हुए कहा, ‘आपके स्नेहपूर्ण शब्दों और आपकी समझ के लिए धन्यवाद। मैं आपकी चिंता को समझती हूं और उसकी सराहना करती हूं। पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार एक उत्तरदायी सरकार है। लोगों की आवाज सुनती है और उस पर ध्यान देती है। आपकी समझ के लिए एक बार फिर धन्यवाद। आपका इनपुट मूल्यवान है।’

महंगाई ने बढ़ाई है मुश्किल
भारत के ताजा महंगाई के आंकड़े चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं। खुदरा महंगाई दर हाल ही में बढ़कर 6.21% हो गई है। यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ऊपरी सीमा को पार कर गई है। वहीं, खाद्य महंगाई दर पिछले महीने के 9.24% से बढ़कर 10.87% हो गई है।

खाने-पीने की जरूरी वस्तुओं की कीमतों में यह तेजी विशेष रूप से मध्यम आय वाले घरों को दर्द देने वाली है। वे खुद को और भी तंग स्थिति में पा रहे हैं। राहत की यह मांग ऐसे समय में आई है जब टैक्स व्यवस्था में बदलाव आ रहा है। पिछले एक दशक में कम आय वाले लोगों से वसूल किए जाने वाले टैक्सों का हिस्सा कम हुआ है, जबकि उच्च आय वाले लोग अधिक टैक्स बोझ उठा रहे हैं।

आयकर विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 50 लाख रुपये से अधिक कमाई करने वाले व्यक्तियों की संख्या 2014 में 1.85 लाख से बढ़कर 2024 में 9.39 लाख हो गई है। इनका टैक्स योगदान 2.52 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 9.62 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

विशेषज्ञों ने कहा कि निम्न और मध्यम आय वर्ग समूहों पर टैक्स लायबिलिटी कम हुई है। वहीं, ज्यादा आय वालों के लिए अनुपालन और टैक्स लायबिलिटी बढ़ी है। यह प्रगतिशील टैक्स नीतियों को दर्शाता है। इसका उद्देश्य मध्यम आय समूहों पर बोझ कम करना है।

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