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केसी- 390 का सुपर ऑफर, पूरी फैक्ट्री भारत में लगाने को तैयारी

Super offer for KC-390, preparing to set up a complete factory in India
ब्लिट्ज ब्यूरो

मुंबई। दुबई एयरशो में एंब्रेयर डिफेंस एंड सिक्योरिटी ने भारतीय वायुसेना के सामने बड़ा प्रस्ताव रखा है। कंपनी ने कहा कि यदि आईएएफ अपने मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की जरूरत के लिए केसी-390 मिलेनियम को चुनती है तो उसकी पूरी प्रोडक्शन लाइन भारत में लगाई जाएगी। इसमें फाइनल असेंबली, टेस्टिंग और डिलीवरी सब कुछ शामिल होगा। कंपनी का दावा है कि यह सिर्फ लोकल असेंबली नहीं होगी। कुछ ही सालों में 60% से ज्यादा भारतीय हिस्सेदारी के साथ एक फुल मेक इन इंडिया मॉडल होगा। ऐसा वे सऊदी अरब और हंगरी में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ कर रहे हैं।
ब्लाक-20 स्टैंडर्ड वाला मॉडल
दुबई में प्रदर्शित केसी-390 नवीनतम बला-20 स्टैंडर्ड वाला मॉडल है जो हाल ही में पुर्तगाल, हंगरी और नीदरलैंड में सेवा में शामिल हुआ है। यह विमान 26 टन पेलोड, टि्वन प्रैट एंड व्हिटनी वी 2500-ई5 इंजन, फ्लाई भाई वायर सिस्टम के साथ आता है। 10000 फीट ऊंचाई वाले बेस से भी फुल लोड के साथ उड़ान भरने की क्षमता रखता है। यह वही परफॉर्मेंस है जिसकी आईएएफ को लद्दाख और अरुणाचल के लिए सबसे ज्यादा जरूरत है। जहां तेज तैनाती और हाई एल्टीट्यूड ऑपरेशन बेहद जरूरी हैं।
मल्टी-रोल प्लेटफॉर्म एम्ब्रेयर ने बताया कि केसी-390 सिर्फ एक टेक्टिकल एयरलिफ्टर नहीं है बल्कि शुरुआत से ही एक मल्टी-रोल प्लेटफॉर्म है। इसमें एयर टू एयर रीफ्यूलिंग, नाटो-स्टैंडर्ड लिंक-16 के साथ भारतीय डेटा लिंक का इंटीग्रेशन है। इसमें मिसाइल वॉर्निंग सिस्टम, डीआईआरसीएम, फ्लेयर चैफ डिस्पेंसर्स और बड़े रियर रैम्प जैसे फीचर्स पहले से मौजूद हैं। विमान कम ऊंचाई पर फॉर्मेशन उड़ान, शॉर्ट-फील्ड लैंडिंग और 23 टन के लोड के साथ ऑपरेशन के लिए बनाई गई है।
केसी-390 के खास वेरिएंट
कंपनी ने यह भी संकेत दिया कि अगर भारत चाहे तो केसी-390 के कई खास वेरिएंट भारत में मिलकर विकसित किए जा सकते हैं। जैसे टैंकर वर्शन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर मॉडल, स्पेशल ऑपरेशन वेरिएंट, मैरीटाइम पेट्रोल वर्शन है। इसे भविष्य में पी-8I के पूरक के रूप में देखा जा सकता है। एम्ब्रेयर के मुताबिक केसी-390 को एक फैमिली प्लेटफॉर्म के तौर पर डिजाइन किया गया है जो आने वाले दशक में आईएएफ की जरूरतों के हिसाब से बदल सकता है। चाहे वह हिमालय में तेजस को ईंन्धन भरना हो या स्पेशल ऑपरेशन फोर्सेज को दुश्मन की लाइन के पीछे पहुंचाना हो।
आईएएफ का मीडियम ट्रांसपोर्ट प्रोग्राम पिछले एक दशक से अटका हुआ है। एयरबस टाटा सी 295 तो एवरो 748 का हल्का विकल्प है लेकिन 15-20 टन श्रेणी के असली ट्रांसपोर्ट विमान की जरूरत अभी भी पूरी नहीं हुई है। वहीं रूस का Il-214 प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद आईएएफ अब केसी-390 को लाकहीड मार्टिन एलएम-100जे के मुकाबले में गंभीरता से देख रही है।

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