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असीम मुनीर को ‘तानाशाह’ बनाने वाले संशोधन पर यूएन तक हलचल

The amendment that labeled Asim Munir a "dictator" has stirred tensions even at the UN.
ब्लिट्ज ब्यूरो

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में हाल ही में संविधान में संशोधन किया गया है। इससे आर्मी की ताकत बढ़ गई है, खासतौर से मौजूदा सेना प्रमुख असीम मुनीर को बहुत ज्यादा अधिकार मिल गए हैं। वहीं न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र को सीमित कर दिया गया है। ऐसे में कई संस्थाएं इस पर फिक्र जता रही हैं। यूनाइटेड नेशन को भी इसने चिंतित किया है। संयुक्त राष्ट्र (मानवाधिकार) के हाई कमिश्नर वोल्कर टर्क ने इसके नतीजों को लेकर चेताया है।
वोल्कर टर्क ने अपने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान के जल्दबाजी में अपनाए गए संविधान संशोधन न्यायपालिका की आजादी को गंभीर रूप से कमजोर करते हैं। इससे सेना का प्रभाव बढ़ने और नागरिक सरकार के कमजोर होने का संकेत मिलता है। यह कानून के राज को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा करता है।
बिना चर्चा किया बदलाव
वोल्कर का कहना है कि हालिया संशोधन को लीगल कम्युनिटी और बड़े सिविल सोसाइटी के साथ बिना किसी सलाह और बहस के अपनाया गया है। ये अमेंडमेंट पाकिस्तान में कानून के राज और मानवाधिकारों की सुरक्षा को बनाए रखने वाली संस्थाओं के खिलाफ हैं। खासतौर से जजों के आजादी से काम कर पाने पर सवाल है। बयान में कहा गया है कि जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर में बदलाव से पाकिस्तान की ज्यूडिशियरी की स्ट्रक्चरल आजादी को कमजोर करने की गंभीर चिंता पैदा हुई है। इन बदलावों से ज्यूडिशियरी में पॉलिटिकल दखल बढ़ने और उस पर एग्जीक्यूटिव कंट्रोल बढ़ने का खतरा है। ज्यूडिशियरी को अपने फैसले लेने में किसी भी तरह के पॉलिटिकल असर से बचाया जाना चाहिए।
मुनीर को बहुत ज्यादा ताकत
टर्क ने कहा कि 27वां अमेंडमेंट प्रेसिडेंट और फील्ड मार्शल को क्रिमिनल केस और गिरफ्तारी से ताउम्र बचाता है। इसे ह्यूमन राइट्स फ्रेमवर्क और कानून के राज के तहत सेना के डेमोक्रेटिक कंट्रोल की नींव कहा जा सकता है। मुझे चिंता है कि इन बदलावों से लोकतंत्र और कानून के राज के उन सिद्धांतों पर दूरगामी असर पड़ सकता है, जो बेहतर समाज के लिए जरूरी हैं।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने 13 नवंबर को 27वें कॉन्स्टिट्यूशनल अमेंडमेंट (संविधान संशोधन) पर दस्तखत करते हुए इसे कानून बनाया है। इस संशोधन से पाकिस्तान के मौजूदा आर्मी चीफ असीम मुनीर की ताकत बहुत ज्यादा बढ़ गई है। इस बदलाव ने उनको पाकिस्तान का सबसे ताकतवर शख्स बना दिया है। वह अब प्रधानमंत्री से कहीं ज्यादा ताकत रखते हैं।

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