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देश को मिला पहला निजी रॉकेट विक्रम- 1

The country got its first private rocket Vikram-1
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले निजी रॉकेट विक्रम-1 का अनावरण किया। इसके साथ ही हैदराबाद में स्काईरूट एयरोस्पेस के इनफिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया। यह रॉकेट छोटे और माइक्रो सैटेलाइट को स्पेस में पहुंचाने के लिए तैयार किया है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का स्पेस सेक्टर तेजी से बदल रहा है और देश ने ‘विश्वसनीयता, क्षमता और मूल्य’ के आधार पर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी की नवाचार और जोखिम लेने की क्षमता नई ऊंचाइयों को छू रही है और आने वाले वर्षों में भारत सैटेलाइट लॉन्चिंग में दुनिया का नेतृत्व करेगा। प्रधानमंत्री ने अनुसंधान के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि सरकार ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’, ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ और 1 लाख करोड़ रुपये के रिसर्च और इनोवेशन फंड जैसे प्रयासों के जरिए युवाओं के लिए बड़े अवसर खोल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि स्पेस सेक्टर में भारत की क्षमताएं दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों के बराबर हैं और पिछले छह-सात वर्षों में इस क्षेत्र को खुला और नवाचार-प्रधान बनाया गया है।
कैसा है भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट
स्काई रूट एयरोस्पेस की तरफ से विकसित विक्रम-1 भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट है जिसका इसका नाम इसरो के संस्थापक डॉ विक्रम साराभाई के सम्मान में रखा गया है। यह छोटे और माइक्रो सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए तैयार किया गया है।
विक्रम-1 की खूबियां
विक्रम-1 रॉकेट की ऊंचाई 20 मीटर, चौड़ाई 1.7 मीटर, थ्रस्ट 1200 केएन है। वहीं यह पूरा रॉकेट हल्की और मजबूत कार्बन फाइबर तकनीक से बना है। इस रॉकेट के कई हिस्से थ्रीडी प्रिंटेड तकनीक से तैयार किए गए हैं। यह रॉकेट एक ही उड़ान में कई सैटेलाइट को अलग-अलग कक्षा में स्थापित करने में भी सक्षम है। विक्रम-1 को तेजी से असेंबल और लॉन्च किया जा सकता है। यह छोटे सैटेलाइट बाजार के लिए बहुत उपयोगी माना जा रहा है।
लागत बेहद कम
₹40 से 50 करोड़ रुपये विक्रम-1 की लागत आएगी।
350 किलो पेलोड अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम
20 मीटर लंबा और 1.7 मीटर है इसका व्यास
2026 के शुरुआत में इसे लॉन्च करने की तैयारी है
मस्क और बेजोस के रॉकेट से अलग
एलन मस्क के स्पेसएक्स और जेफ बेजोस के ब्लू ओरिजिन का निजी अंतरिक्ष उद्योग पर कब्जा है। मस्क और बेजोस का ध्यान भारी वजन और फिर से उपयोग में लाए जा सकने वाले रॉकेटों पर है। वहीं, विक्रम-। का उद्देश्य सस्ते और कम वजन वाले बाजार पर है। इसका इंजन करीब 40 फीसदी सस्ता है।
तैयार करने में कम समय लगेगा
24 घंटे के भीतर किसी भी साइट पर असेंबल और लॉन्च किया जा सकेगा
50% वजन कम हो जाता है 3डी-प्रिंटिंग से तैयार करने के कारण।

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