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आ रहा दुश्मनों की ‘मौत का सामान’

The enemy's 'death material' is coming
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। भारत पर कुदृष्टि रखने वाले चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय ने एक और बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने 54,000 करोड़ रुपये की लागत वाली सैन्य आधुनिकीकरण योजनाओं को मंजूरी दी। इनमें ब्रह्मोस मिसाइल, छह एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट, टी 90 टैंकों के इंजन अपग्रेड, नौसेना के लिए एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें और टॉरपीडो शामिल हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद यानी डीएसी की बैठक में इन प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई।
जानकारी के मुताबिक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को भारत और रूस के सहयोग से विकसित किया गया है। यह अब भारतीय सेना के लिए प्रमुख पारंपरिक प्रहार हथियार बन चुकी है। डीएसी ने इस मिसाइल के लिए 20000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त स्वीकृति दी है। इसकी मारक क्षमता अब 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर कर दी गई है। भारतीय सेना और वायुसेना में ब्रह्मोस मिसाइलों की तैनाती बढ़ाई जाएगी।
वायुसेना को मिलेंगे छह नए नेत्र विमान
रक्षा अधिग्रहण परिषद ने वायुसेना के लिए छह नए एईडब्ल्यूएंडसी मार्क 1ए विमान खरीदने की मंजूरी दी है जिसे नेत्र एयरक्राफ्ट भी कहा जाता है। ये विमान ब्राजीलियन एम्ब्रेयर 145 जेट पर स्वदेशी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे रडार और अन्य निगरानी प्रणालियों के साथ तैयार किए जाएंगे। इसकी कुल लागत 9,000 करोड़ रुपये से अधिक होगी। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास केवल तीन नेत्र मार्क 1 विमान और तीन इजरायली फाल्कन रडार सिस्टम हैं।
टी 90 टैंकों के इंजन होंगे अपग्रेड
रक्षा मंत्रालय ने टी 90S भीष्म युद्धक टैंकों के इंजन अपग्रेड करने की भी स्वीकृति दी है। अभी इन टैंकों में 1,000 हॉर्सपावर एचपी के इंजन लगे हैं। इन्हें अब 1350 एचपी इंजन से अपग्रेड किया जाएगा। यह अपग्रेडेशन विशेष रूप से ऊंचाई वाले इलाकों में इन टैंकों की गतिशीलता को बढ़ाएगा। भारतीय सेना अब तक 1300 टी 90 टैंक तैनात कर चुकी है और कुल 1657 टैंकों का उत्पादन भारत में रूसी लाइसेंस के तहत हो रहा है।

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