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बेजुबानों को भी मिलेंगी सस्ती दवाएं

The voiceless will also get cheap medicines

संजय द्विवेदी
लखनऊ। जन औषधि केंद्रों की तरह अब पशु औषधि विक्रय केंद्र भी खुलेंगे। इन पर पशुओं के लिए सस्ती दवाएं मिलेंगी। शुरुआत में हर ब्लॉक में एक पशु औषधि विक्रय केंद्र खोलने की योजना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं। केंद्र खोलने की लिए पूरी गाइडलाइन भी राज्य सरकारों को भेजी गई है।
ऐसे खुलेंगे केंद्र
प्रदेश में पशुओं के इलाज के लिए यूं तो सरकारी पशु चिकित्सालय भी उपलब्ध हैं। यहां पशुओं का मुफ्त इलाज किया जाता है पर निजी क्षेत्र में इलाज करवाना काफी महंगा है। निजी वेटनरी स्टोर पर दवाएं काफी महंगी मिलती हैं। इसी को ध्यान में रख कर केंद्र सरकार ने जन औषधि केंद्रों की तरह पशु औषधि विक्रय केंद्र खोलने का निर्णय किया है। इसके लिए नियम और शर्तें भी जारी कर दी गई हैं।
पशु औषधि विक्रय केंद्र खोलने के लिए फार्मासिस्ट का रजिस्ट्रेशन होगा। इसके लिए ड्रग लाइसेंस लेना होगा। एक केंद्र खोलने के लिए कम से कम 120 वर्ग फुट जगह होनी जरूरी है। प्रधानमंत्री कृषक समृद्धि केंद्रों और सहकारी समितियों को इसमें प्राथमिकता दी जाएगी।
सरकार देगी अनुदान
पशु औषधि विक्रय केंद्र सरकार की तय कंपनियों से सस्ती दर पर दवा खरीद सकेंगी। दवा की दर पर 20% मुनाफा केंद्र संचालक ले सकेंगे। विक्रय केंद्र खोलने के लिए सरकार शुरुआत में 1.50 लाख रुपये का अनुदान देगी। आकांक्षी ब्लॉक, आकांक्षी जिलों, पूर्वोत्तर के हिमालयन क्षेत्रों में केंद्र खोलने के लिए लगने वाली लागत की प्रतिपूर्ति करेगी। आवेदन ऑनलाइन किए जा सकेंगे।
क्यों पड़ी इनकी जरूरत?
प्रदेश सरकारों के पास अपने पशु चिकित्साधिकारी हैं। पशु चिकित्सालय भी हैं। यहां गाय, बैल, भैंस सहित कई पशुओं के मुफ्त या कम लागत पर इलाज की व्यवस्था है। अब चूंकि निराश्रित पशुओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है। सरकारें उनके लिए पशु आश्रय स्थल बना रही हैं। उनमें काफी संख्या में पशु हैं। सरकारी चिकित्सालय और पशु चिकित्साधिकारियों पर उनकी भी बड़ी जिम्मेदारी है।
वहीं समय-समय पर चलने वाले अभियानों और संक्रामक रोगों की रोकथाम जैसे कई काम भी उनके ही जिम्मे हैं। ऐसे में निजी पशुओं का इलाज लोग अपने स्तर से निजी पशु चिकित्सकों से करवाते हैं। ज्यादातर दवाएं भी बाहर से खरीदनी होती हैं।
बाजार में निजी कंपनियां मोटा मुनाफा लेती हैं। इसी वजह से इनकी दवाएं काफी महंगी होती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए पशु औषधि विक्रय केंद्र खोले जा रहे हैं। यहां तय कंपनियां सस्ती दवाएं देंगी और विक्रय केंद्रों का मुनाफा भी 20% तय कर दिया गया है। इससे पशुपालकों को सस्ती दवाएं मिल सकेंगी।

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