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भारत की क्रेडिबिलिटी का बढ़ा वजन, चीन पर चल गई कैंची

The weight of India's credibility increased, the scissors went on China
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। हांगकांग की ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने चीन में निवेश घटाकर भारत में अपना इन्वेस्टमेंट 20 फीसदी तक बढ़ा दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद उसने ऐसा किया है। यह फैसला अक्टूबर के शुरुआत में लिए गए फैसले के उलट है। तब चीन की ओर से 24 सितंबर को पहली बार प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा के बाद सीएल एसेे ने चीन में अपना निवेश बढ़ाया था। चीन ने 8 नवंबर को 1.4 ट्रिलियन डॉलर के पैकेज की दूसरी किस्त की घोषणा की थी। जनवरी 2025 में एक और पैकेज की उम्मीद है। सीएलएसए की ओर से निवेश बढ़ाने का मतलब है कि भारतीय शेयर बाजार दूसरे बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

सीएलएसए के इस फैसले के पीछे अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) की आशंका को भी वजह माना जा रहा है। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान अमेरिका में चीन के आयात पर 60 फीसदी तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा था। इसके अलावा, चीनी सरकार की ओर से घोषित प्रोत्साहन पैकेज को भी निवेशकों ने कम उत्साहजनक पाया है।

ट्रंप की जीत का असर
ट्रंप की जीत के बाद ब्रोकरेज फर्म ने अक्टूबर में लिए गए अपने फैसले को बदलते हुए चीन में निवेश को ‘समान भार’ यानी ‘इक्वल वेट’ और भारत में ‘अधिक भार’ (ओवरवेट) कर दिया है। यह ऐसे समय में हुआ है जब अक्टूबर की शुरुआत से ही भारत में विदेशी निवेशकों की ओर से कुल 14.2 अरब डॉलर की बिकवाली दर्ज की गई है।

हालांकि, सीएलएसए ने माना है कि भारत में शेयर मार्केट वैल्यूएशन ‘महंगा’ बना हुआ है लेकिन, साथ ही यह भी कहा है कि ट्रंप की प्रतिकूल व्यापार नीति से भारत क्षेत्र के अन्य बाजारों की तुलना में सबसे कम प्रभावित होगा। अधिकारियों का मानना है कि राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप का भारत के निर्यात पर उतना प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा जितना कि चीन जैसे अन्य देशों पर पड़ेगा।

ट्रंप की जीत के बाद चीन पर घटा भरोसा
लंदन स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स को भी उम्मीद है कि अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव मध्यम अवधि में चीन और अन्य लक्षित अर्थव्यवस्थाओं से कुल निर्यात को कम करेगा। हालांकि, प्रभाव विशिष्ट क्षेत्रों में केंद्रित होगा। इसके ऑटोमोबाइल और स्टील जैसे प्रभावित उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण नतीजे होंगे।

– हांगकांग की ब्रोकरेज फर्म ने चीन के मुकाबले भारत में निवेश को बताया बेहतर
– सीएलएसए ने भारत में निवेश का अनुपात बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया
– अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद तेजी से बदले हैं समीकरण

पिछले हफ्ते चीन ने अपनी धीमी आर्थिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए 1.4 ट्रिलियन डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज को लॉन्च किया। सीएलएसए ने कहा, ‘हाल के घटनाक्रमों के प्रकाश में अब हमारे पास 2025 में चीनी शेयरों पर बेंचमार्क एक्सपोजर से ऊपर बनाए रखने के लिए पर्याप्त दृढ़ता नहीं है।’
उसके मुताबिक, ट्रंप 2.0 में व्यापार युद्ध की शुरुआत हो सकती है। मुमकिन है कि यह चीनी इक्विटी परिसंपत्तियों के लिए विघटनकारी साबित हो। खासतौर से यह देखते हुए कि चीन की आर्थिक विकास दर 2018 की तुलना में निर्यात पर कहीं अधिक निर्भर हो गई है।

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