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बदल गया एग्जाम व मार्किंग का घिसा-पिटा तरीका

The worn-out method of exam and marking has changed
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में अब एग्जाम में मार्क्स मिलने के नए नियम लागू होने जा रहे हैं, इनके अनुसार ही परीक्षाओं में अंकों का निर्धारण किया जाएगा। इसमें प्रेजेंटेशन, क्लास परफॉर्मेंस और फील्ड वर्क जैसी चीजें शामिल हैं।
शैक्षणिक सत्र 2025-26 से यूनिवर्सिटी-कॉलेजों के हर कोर्स में परीक्षा और मूल्यांकन के नए नियमों को लागू कर दिया गया है। यूजीसी के नए नियमों के बारे में अप्रैल में गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया, जिसमें सतत रचनात्मक मूल्यांकन को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं। सेमेस्टर या साल के आखिर में होने वाली वार्षिक परीक्षाओं के साथ-साथ अब प्रेजेंटेंशन, क्लास परफॉर्मेंस, फील्ड वर्क, सेमिनार, टेस्ट जैसी मूल्यांकन यूनिट्स को भी वेटेज दी जाएगी। नोटिफिकेशन में यह साफ किया गया है कि यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों को हर कोर्स में परीक्षा और मूल्यांकन के फॉर्मूले की जानकारी अकैडमिक सेशन या सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू होने से पहले देनी होगी। ग्रेड्स को पर्सेंटेज में बदलने के लिए बनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में भी छात्रों को पता होना चाहिए। नए नियम यूनिवर्सिटी में शुरू होने वाले नए सेशन से लागू हो जाएंगे। सेमेस्टर या साल के आखिर में होने वाले एग्जाम के अलावा हर कोर्स में लगातार मूल्यांकन और दिए जाने वाले क्रेडिट का फॉर्मूला यूनिवर्सिटी तय करके छात्रों को बताएगी। जहां पर भी सिर्फ लिखित परीक्षा के आधार पर मूल्यांकन होता है, वहां के सिस्टम में नई चीजों को जोड़ना होगा।
मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के नियम
अब ज्यादातर यूनिवर्सिटीज में 4 साल का कोर्स भी लागू हो गया है। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दोनों कोर्से में नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) के आधार पर मल्टीपल एंट्री व एग्जिट के नियम लागू होंगे। इसके साथ ही कोर्सेज में स्किल प्रोग्राम और वोकेशनल एजुकेशन भी शामिल हैं।
क्रेडिट फ्रेमवर्क
किसी कोर्स में मेजर सब्जेक्ट में 50 प्रतिशत क्रेडिट हासिल करके बाकी 50 प्रतिशत क्रेडिट स्किल कोर्सेज करके मिल सकेंगे। बहुविषयक अप्रोच को शामिल करते हुए क्रेडिट फ्रेमवर्क तैयार किया गया है।
सेशन के बीच में नहीं आ सकते नए नियम
नोटिफिकेशन यह भी कहता है कि किसी भी कोर्स में लिखित परीक्षा चाहे ऑनलाइन हो, ऑफलाइन हो, दोनों तरीकों से हो, मौखिक परीक्षा भी शामिल हो, चाहे कोई भी पैटर्न हो, उसके बारे में छात्रों को सेशन की शुरुआत से ही पता होना चाहिए। सेशन के बीच में नियमों को नहीं लाया जा सकता है।
हर कोर्स में नए सिरे से बनेंगे अटेंडेंस नियम
नए नियमों में क्लास में होने वाले यूनिट टेस्ट, छात्र का कई विषयों पर प्रेजेंटेशंस, सेमिनार में भागीदारी, क्लास में परफॉर्मेंस और फील्ड वर्क जैसे विषयों के आधार पर भी नंबर मिलेंगे। कितनी वेटेज होगी, यह तय करना उच्च शिक्षा संस्थान का काम होगा। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेज के लिए लाए गए नए नियमों को लेकर यूनिवर्सिटी को अपनी अकैडमिक काउंसिल और एग्जिक्यूटिव काउंसिल के जरिए जरूरी बदलाव करने होंगे। यूनिवर्सिटी को हर कोर्स के हिसाब से हाजिरी नियमों की शर्तों को भी नए सिरे से तय करना होगा। 4 साल की ग्रेजुएशन करने वाले एक साल के पीजी कोर्स के लिए एलिजिबल होंगे। वहीं 3 साल की ग्रेजुएशन करने वालों के लिए पीजी कोर्स 2 साल के लिए होगा।

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