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अब तक 39 नक्सलियों का एनकाउंटर कर चुका ये सी-60 कमांडो

This C-60 commando has encountered 39 Naxalites so far
ब्लिट्ज ब्यूरो

नागपुर। अबूझमाड़ के जंगल में माओवादियों से एनकाउंटर में घायल सी-60 कमांडो कुमोद आत्राम एक बार फिर अपनी ड्यूटी पर लौटना चाहते हैं। पिछले 8 साल में नक्सलियों के खिलाफ 22 एनकाउंटर में शामिल रहे कुमोद आत्राम को पिछले दिनों तीन गोलियां लगी थीं।
एनकाउंटर के दौरान घायल होने के बावजूद उन्होंने अपने दो साथियों को बचा लिया। उनके दोनों साथी नक्सलियों से घिर गए थे। ऐसी हालत में भी उनकी टोली ने पांच नक्सलियों को मार गिराया। हॉस्पिटल में एडमिट कुमोद जख्मी हालत में भी याद करते हैं कि अब तक 39 नक्सली उनकी गोली का शिकार बन चुके हैं।

किया गया था एयरलिफ्ट
एनकाउंटर में घायल होने के बाद आत्राम को एयरलिफ्ट किया गया था। आज भी गोलियों के जख्म ताजा हैं, मगर उन्हें गर्व है कि उनका मिशन सफल रहा। उनकी खुफिया टीम को सूचना मिली थी पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) के गुरिल्ला लड़ाके महाराष्ट्र चुनाव से पहले बड़ी वारदात को अंजाम देने वाले हैं। उनकी टीम को एक्शन का ऑर्डर मिला। फिर कुमोद अपने साथी कमांडो और सीआरपीएफ के 22 जवानों के साथ अबूझमाड़ के जंगल में घुस गए। 72 घंटे की पहाड़ पर चढ़ाई के बाद उनकी टीम दो हिस्सों में बंट गई। करीब सात किलोमीटर की दूरी पर पीएलजीए के दो कैंप थे। इसके बाद वे नक्सलियों से भिड़ गए।

पांच माओवादी मारे गए
एनकाउंटर के दौरान उन्होंने पीछे मुड़कर देखा कि उनके दो साथी नक्सलियों के घिर गए हैं और उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग हो रही है। मोटे बड़े पेड़ की आड़ में छिपे कुमोद आत्राम ने कवर फायर किया। इस दौरान उन्हें तीन बार गोली लगी। गोलीबारी के बीच एक साथी ने एक साथी को इंजेक्शन लगाने की कोशिश की, जिससे थक्के बनने से बहता खून रुक जाता है। मगर फायरिंग के कारण आधे घंटे तक दोनों एक-दूसरे तक नहीं पहुंच सके। आत्राम की बॉडी से काफी खून बह निकला, मगर उन्होंने हौसला नहीं खोया। इस ऑपरेशन में पीएलजीए के कंपनी नंबर 10 के पांच माओवादी मारे गए।

मारे गए नक्सलियों पर लगभग 300 मुकदमे दर्ज थे
जानकारी के मुताबिक, मारे गए नक्सलियों पर लगभग 300 मुकदमे दर्ज थे और महाराष्ट्र सरकार ने उन पर कुल 38 लाख रुपये का इनाम रखा था। मारे गए माओवादियों में दो उनकी महिला जया पाडा और अंकालू तुलावी शामिल हैं। गंभीर हालत में फंसे कुमोद को एयरलिफ्ट कर नागपुर के हॉस्पिटल में लाया गया। जब उन्हें होश आया तो पहले उन्होंने इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी ली। जब उन्हें पता चला कि कुल पांच माओवादी मारे गए हैं तो उन्होंने अपने एनकाउंटर के आंकड़े को बढ़ा दिया।

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