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उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी विधेयक, 2025 (घरौनी कानून) पारित गांव के लोगों को भी मिलेगा लोन

Uttar Pradesh Rural Population Bill, 2025 (Gharauni Law) passed, village people will also get loan
ब्लिट्ज ब्यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में गत 23 दिसंबर को उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी विधेयक, 2025 (घरौनी कानून) पारित हो गया। इस कानून के लागू होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी की जमीन पर बने घरों के मालिकों को बड़ा लाभ मिलेगा। अब गांवों में घर बनाने, मरम्मत कराने या अन्य जरूरतों के लिए ग्रामीण अपने घरौनी दस्तावेज के आधार पर बैंकों से लोन ले सकेंगे।
इसके साथ ही आबादी भूमि से जुड़े स्वामित्व रिकॉर्ड में संशोधन, नामांतरण और सुधार की प्रक्रिया भी पहले से कहीं अधिक सरल हो जाएगी। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से इस योजना को तेजी से लागू किए जाने पर जोर दिया जा रहा था। केंद्र की प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना को प्रदेश में घरौनी योजना के रूप में लागू किया गया है। यूपी विधानसभा से इसे पास किए जाने के बाद कानूनी रूप से मान्यता वाला विधेयक पास हो गया है। यह ग्रामीणों को अपनी संपत्ति पर पक्क ा सबूत देने वाला होगा।
घरौनी दस्तावेज को अब कानूनी दर्जा
घरौनी कानून विधेयक के पारित होने के साथ ही अब घरौनी को एक आधिकारिक और कानूनी दस्तावेज का दर्जा मिल गया है। अब तक घरौनी केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत जारी की जाती थी पर कानून बनने के बाद इसे कृषि भूमि की खतौनी की तरह मान्यता प्राप्त हो गई है। विरासत, विक्रय, उत्तराधिकार या अन्य कारणों से घरौनी में नाम बदलने और रिकॉर्ड सुधार की प्रक्रिया को स्पष्ट और सरल बना दिया गया है। इसके अलावा घरौनी में दर्ज मोबाइल नंबर, पता या अन्य विवरणों को अपडेट करने का भी प्रावधान किया गया है।
क्या है घरौनी कानून?
घरौनी ग्रामीण इलाकों में घर और आवासीय संपत्ति के मालिकाना हक का कानूनी दस्तावेज है। यह ठीक उसी तरह है जैसे कृषि भूमि के लिए खतौनी होती है। ड्रोन सर्वे के जरिए गांवों की मैपिंग कर हर घर की एक विशिष्ट पहचान और रिकॉर्ड तैयार किया जाता है जिसमें घर का पता, मालिक का नाम, हिस्सा और अन्य विवरण दर्ज होते हैं। इसी को अब कानूनी जामा पहनाया गया है।
इसलिए जरूरी है कानून
घरौनी कानून लाने का उद्देश्य इसे कानूनी मान्यता देना, नामांतरण और संशोधन की प्रक्रिया को आसान बनाना, ग्रामीणों को वित्तीय रूप से सशक्त करना और संपत्ति विवादों व अवैध कब्जों को कम करना है। दरअसल, घरौनी कानून ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का पक्क ा और कानूनी प्रमाण प्रदान करता है। इससे उन्हें वित्तीय और कानूनी सुरक्षा मिलती है और प्रदेश के ग्रामीण विकास को नई गति मिलने की संभावना है।
स्वामित्व योजना को मजबूती
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने विधानसभा में बताया कि यह कानून केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन तकनीक से तैयार किए गए ग्रामीण आबादी क्षेत्रों के स्वामित्व अभिलेखों को कानूनी मान्यता देने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस कानून से घरौनी अभिलेखों का संरक्षण, समय-समय पर नए रिकॉर्ड दर्ज करने और उनके कानूनी प्रबंधन की व्यवस्था सुनिश्चित होगी।
ग्रामीणों को मिलेंगे आर्थिक लाभ
मंत्री ने बताया कि स्वामित्व योजना का मुख्य उद्देश्य गांवों में सही सर्वेक्षण कर ग्रामीणों की आवासीय संपत्तियों के पक्के कागजात तैयार करना है। इससे ग्रामीण अपने मकान और जमीन के आधार पर बैंक लोन, बीमा और अन्य वित्तीय सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। साथ ही भूमि के सही रिकॉर्ड उपलब्ध होने से संपत्ति कर निर्धारण, जीआईएस मैपिंग और ग्राम पंचायतों की विकास योजनाओं को बेहतर ढंग से तैयार करने में भी मदद मिलेगी।
दायरे में 1.10 लाख से अधिक गांव
मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि स्वामित्व योजना को लेकर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच एमओयू हो चुका है। प्रदेश के 1,10,344 ग्रामों को इस योजना के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है। इनमें से गैर-आबाद ग्रामों को छोड़कर 90,573 ग्रामों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि 9 मई 2025 तक करीब 1 करोड़ 6 लाख से अधिक घरौनियां तैयार की जा चुकी हैं जिनमें से 1 करोड़ 1 लाख से अधिक घरौनियों का वितरण ग्रामीणों को किया जा चुका है।
संशोधन, नामांतरण के नियम स्पष्ट
मंत्री ने कहा कि घरौनी बनने के बाद समय के साथ विरासत, उत्तराधिकार और बिक्री जैसे कारणों से नाम परिवर्तन और संशोधन की आवश्यकता पड़ती है लेकिन अब तक इसके लिए स्पष्ट नियम नहीं थे। इसी कमी को दूर करने के लिए राजस्व परिषद के प्रस्ताव पर यह विधेयक लाया गया है।
विधेयक के अनुसार, ग्रामीण आबादी का अभिलेख ‘घरौनी’ कहलाएगा।
घरौनी में स्वामी का नाम-पता, भूखंड का विवरण, क्षेत्रफल, रेखाचित्र और स्थानिक जानकारी दर्ज होगी। किसी ग्राम की सभी घरौनियों का संकलन घरौनी रजिस्टर के रूप में किया जाएगा और एक अलग आबादी मानचित्र भी तैयार होगा। इस कानून के तहत प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी को अभिलेख अधिकारी नामित किया जाएगा।
संपत्ति विवादों में आएगी कमी
जयवीर सिंह ने कहा कि इस कानून के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति विवादों में कमी, अभिलेखों में पारदर्शिता, बेहतर कर व्यवस्था और योजनाबद्ध विकास को मजबूती मिलेगी। यह कानून ग्रामीण आबादी क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव वाला कदम साबित होगा।

कानून ग्रामीण आबादी क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव वाला कदम

– घरौनी अब एक आधिकारिक और कानूनी दस्तावेज
– ग्रामीणों को 1 लाख से अधिक घरौनियों का वितरण

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