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भारत से 7500 किमी दूर स्थित देश की संसद में हिंदी के लिए उठी आवाज

Voice raised for Hindi in the Parliament of the country located 7500 km away from India
ब्लिट्ज ब्यूरो

लेदन। स्कॉटलैंड की संसद के एक स्कॉटिश भारतीय सदस्य ने प्रशासन से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि स्कॉटलैंड में प्रवासियों की संख्या के मामले में भारतीयों के दूसरे नंबर पर होने के मद्देनजर सार्वजनिक संदेश एवं स्वास्थ्य अभियान हिंदी में भी उपलब्ध कराए जाएं। इस पर स्कॉर्टलैंड की सरकार ने जल्द ही विचार करने का आश्वासन दिया है। सरकार ने कबूला है कि उनके देश में बड़ी संख्या में भारतीय लोग रहते हैं, जो हिंदी को अच्छी तरह से समझते और बोलते हैं।

स्कॉटिश भारतीय सांसद ने क्या मांग रखी
स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल के लिए शैडो कैबिनेट सचिव तथा ग्लासगो में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में चिकित्सक डॉ. संदेश गुलहाने ने एडिनबर्ग में स्कॉटिश संसद में प्रश्न प्रस्तुत कर कहा कि इस क्षेत्र में सार्वजनिक संदेश भेजने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली अन्य भाषाओं में हिंदी शामिल नहीं है। गुलहाने ने स्कॉटलैंड की प्रथम उप मंत्री केट फोर्ब्स से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि जो भी जानकारी वैकल्पिक भाषाओं में उपलब्ध कराई जा रही है, उनमें हिंदी हमेशा शामिल होनी चाहिए।

स्कॉर्टलैंड में भारतीय दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समूह
उन्होंने कहा, ”2022 की जनगणना से पता चला है कि स्कॉटलैंड में भारतीय दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समूह हैं।” उन्होंने कहा कि भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक हिंदी दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और स्कॉटलैंड में हिंदी बोलने वालों की संख्या लगभग पर्थ की जनसंख्या के बराबर है।

हिंदी में सरकारी संदेश प्रसारित करने की मांग
स्कॉटिश संसद (एमएसपी) में कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य गुलहाने ने कहा, ”हालांकि, मैंने देखा है कि एनएचएस स्वास्थ्य बोर्ड और अन्य सार्वजनिक निकायों में सार्वजनिक सूचना और संदेश कई भाषाओं में उपलब्ध हैं, लेकिन हिंदी में नहीं हैं।” उन्होंने सवाल किया, ”क्या प्रथम उप मंत्री यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि जब भी वैकल्पिक भाषाओं में सूचना और संदेश उपलब्ध कराए जाएं तो उनमें हिंदी भी हमेशा शामिल होनी चाहिए।” फोर्ब्स ने कहा कि सरकार ”थोड़ा विचार करेगी” क्योंकि हिंदी भाषी स्कॉटलैंड में बड़ा योगदान देते हैं और ”यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें लगे कि सभी सरकारी सामग्री उनकी अपनी भाषा में उपलब्ध है।”

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