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गणेश प्रतिमाएं जल में क्यों विसर्जित की जाती हैं ? महाभारत है वजह

Why are Ganesh idols immersed in water? Mahabharata is the reason
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। बप्पा का आगमन और फिर उनकी विदाई दोनों ही भक्तों के लिए बेहद खास होते हैं। 10 दिन अपने भक्तों के साथ रहने के बाद जब भगवान गणेश कैलाश पर्वत पर वापस लौटते हैं तो यह समय भक्तों के लिए बेहद भावुक करने वाला है। भक्त बप्पा को धूमधाम से विदा करते हैं। गाजे-बाजों के साथ गणपति की मूर्ति को जलाशय में विसर्जन के लिए ले जाते हैं। वहीं बप्पा भी अपने भक्तों की मुराद पूरी करके जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि गणपति की प्रतिमाएं जल में ही विसर्जित क्यों की जाती हैं।

10 दिन तक लिखी थी महाभारत
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब महर्षि वेद व्यास ने महाभारत लिखने की सोची तो उन्होंने लेखक के तौर पर बुद्धि और ज्ञान के देवता भगवान गणेश का आह्वान किया। भगवान गणेश ने उनका आग्रह स्वीकारा और भाद्रपद गणेश चतुर्थी से महाभारत कथा लिखना प्रारंभ किया। भगवान वेद व्यास महाभारत कथा कहते गए और गणेश जी लिखते गए। 10 दिन बाद जब वेद व्यास जी ने आंखें खोलीं तो पाया कि 10 दिन की अथक मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ गया है। साथ ही एक ही स्थिति में बैठकर लगातार लिखते रहने के कारण उनके शरीर पर मिट्टी जम गई है तब वेद व्यास जी ने तुरंत गणेश जी को ले जाकर निकट के सरोवर में ले जाकर ठंडे पानी से स्नान कराया था। कहते हैं कि तब से ही 10 दिन तक गणेश स्थापना करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी को पानी में विसर्जित करके शीतलता दी जाती है।

गणेश विसर्जन का बहुत खास होता है। गणपति बप्पा अपने भक्तों के सारे संकट दूर करके जाते हैं और उनकी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं।

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