World's first weekly chronicle of development news

पत्नी को पति की संपत्ति नहीं मान सकते : कोर्ट

suprem-court
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला के‎ पति की ओर से दायर व्यभिचार (एडल्टरी) के केस में आरोपी‎ व्यक्ति को बरी कर दिया है। कोर्ट ने‎ कहा- पत्नी को पति की संपत्ति ‎मानने की सोच अब असंवैधानिक ‎है। यह मानसिकता महाभारत काल से‎ चली आ रही है।
जस्टिस नीना बंसल‎कृष्णा ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट‎ के उस ऐतिहासिक निर्णय का हवाला‎ दिया, जिसमें आईपीसी की धारा‎ 497 को असंवैधानिक करार दिया ‎गया था। यह कानून पितृसत्तात्मक ‎सोच पर आधारित था, जिसमें पत्नी ‎को अपराधी नहीं, बल्कि ऐसी‎ महिला माना गया, जिसे बहकाया ‎गया।
हाईकोर्ट ने कहा- महाभारत‎ में द्रौपदी को उसके पति युधिष्ठिर ने‎ जुए में दांव पर लगा दिया था। द्रौपदी ‎की कोई आवाज नहीं थी, उसकी ‎गरिमा की कोई कद्र नहीं थी। यह‎ सोच आज भी समाज में बनी हुई है,‎ लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‎असंवैधानिक घोषित कर दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि जब किसी ‎वैवाहिक रिश्ते में नैतिक ‎प्रतिबद्धता खत्म हो जाती है, तो‎ यह पूरी तरह निजता का मामला ‎होता है। एडल्टरी को अपराध‎ मानना अब पीछे जाने जैसा होगा।‎‎ धारा 497 के प्रावधान से विवाह‎ की पवित्रता नहीं, बल्कि पति का‎ स्वामित्व बचाया जा रहा था।‎
पत्नी पर अफेयर का आरोप था
इस केस में महिला के पति ने‎ आरोप लगाया था कि उसकी‎ पत्नी आरोपी के साथ अफेयर में‎ थी और दोनों एक होटल में साथ‎ रुके थे, जहां उन्होंने पति की ‎अनुमति के बिना संबंध बनाए। ‎मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आरोपी को बरी‎ कर दिया था, लेकिन सेशंस कोर्ट‎ ने उसे फिर से समन किया।‎

Exit mobile version