Site icon World's first weekly chronicle of development news

योगी सरकार गंभीर : तेजी से बदल रही कानपुर की तस्वीर

Yogi government serious: picture of Kanpur is changing rapidly
ब्लिट्ज ब्यूरो

कानपुर। प्रदेश के सबसे बड़े और औद्योगिक राजधानी के रूप में मशहूर कानपुर शहर की सूरत राज्य की योगी सरकार तेजी से बदल रही है। नगर में एक के बाद एक जन हितकारी परियोजनाएं आकार ले रही हैं। नगर में एलिवेटेड रेल ट्रैक परियोजना को जमीन पर उतारने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। 995 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस ट्रैक से कानपुर की 50 लाख आबादी को जाम से मुक्ति मिलेगी। सब कुछ ठीक रहा तो मंधना-अनवरगंज एलीवेटेड रेलवे ट्रैक वर्ष 2027 तक बनकर तैयार हो जाएगा और इस पर ट्रेनें भी दौड़ने लगेंगी।
इस क्रम में अनवरगंज से मंधना के बीच 18 रेल क्रॉसिंगों पर जाम से लोगों को निजात दिलाने की योजना बनाई गई है। ढाई दशक से इस संबंध में कवायद चल रही है। पूर्वोत्तर रेलवे की तीन सदस्यीय कमिटी ने प्रशासन और सेतु निगम के इंजीनियरों के साथ अनवरगंज से मंधना क्रॉसिंग तक जमीन की पेमाइश की है। प्रशासन की ओर से जैसे ही अधिग्रहित जमीन को रेलवे को सौंपा जाएगा, एलिवेटेट ट्रैक निर्माण की प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाएगा।

रेल अधिकारियों की मानें तो अगले साल मार्च 2025 तक इस परियोजना पर काम शुरू होने की संभावना है। योजना को लेकर फाइनल डीपीआर रेलवे को भेजी गई है। जमीन की मापी और स्थल को चिह्नित करने की प्रक्रिया पूरी कराई गई है। अब राजस्व विभाग की ओर से जमीन के नक्शे पर आकलन करने के बाद रेलवे को एलिवेटेड ट्रैक बनाने के लिए जरूरी जमीन का एस्टीमेट तैयार किया जाएगा। एसएसई ने बताया कि प्रशासन ने दो महीने के भीतर जमीन उपलब्ध कराने की बात कही है। सब सही रहा तो मार्च तक एलिवेटेड ट्रैक का काम शुरू करा दिया जाएगा।

लोगों को मिलेगा फायदा
अनवरगंज-मंधना क्रॉसिंग तक एलिवेटेड ट्रैक बनने के बाद इसके बीच पड़ने वाली 15 क्रॉसिंगों पर फंसने वाले 8 लाख वाहनों को करीब 7 घंटे की बचत होगी। अनुमानित वाहन फंसने पर फिजूल में खर्च होने वाले ईंधन के नाम पर रोक लगेगी। परिवहन विभाग के मुताबिक, इन क्रॉसिंगों के बंद होने से 8 लाख वाहन रुकते हैं। इस कारण ईंन्धन की खपत ज्यादा होती है। लोगों को 18 रेल क्रॉसिंगों से निजात दिलाने के लिए गत 21 साल से कवायद चल रही है। कभी छह क्रॉसिंगों पर फ्लाईओवर तो कभी मंधना को पनकी रेललाइन से जोड़ने तक, कभी एलिवेटेड ट्रैक के लिए चार बार सर्वे हो चुका है।
तत्कालीन सांसदों, व्यापारियों, सामाजिक संगठनों ने इसे लेकर कई बार आवाज उठाई थी। पिछले दिनों तत्कालीन सांसद सत्यदेव पचौरी, अकबरपुर के सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने भी बात रखी थी।

अब कानपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद रमेश अवस्थी निरंतर इस मुद्दे को उठा रहे हैं। इससे काम में तेजी आई है। राज्य सरकार से लेकर रेलवे बोर्ड तक सभी जगह सहमति मिल चुकी हैं। विगत दिनों केस्को की लाइनें हटाने, भूमि अधिग्रहण, अन्य बाधाएं हटाने समेत कोई मकान या दुकान आने पर उन्हें क्षतिपूर्ति देकर हटाने को लेकर अपर जिलाधिकारी नगर डा. राजेश कुमार के नेतृत्व में अफसरों ने हालात का जायजा लिया और निर्देश दिए। मंडलायुक्त अमित गुप्ता के निर्देश पर निर्बाध काम किया जा रहा है।

कोआर्डिनेटर नीरज श्रीवास्तव कहते हैं कि दो साल में एलीवेटेड रेल ट्रैक बनना है। इसके 2025 से शुरू होकर 2027 तक तैयार होने की उम्मीद है। ईपीसी मोड पर काम के लिए एक ही कंपनी अलग-अलग क्षेत्र में कार्य पूरा कराएगी।

50 से अधिक ट्रेनों का रास्ता बदलेगा
एलीवेटेड रेलवे ट्रैक निर्माण के लिए दो साल तक यहां ट्रेनें नहीं चलेंगी। 50 से अधिक ट्रेनों को दूसरे रूट से चलाया जाएगा। कुछ ट्रेनें हरदोई के रास्ते लखनऊ होकर सेंट्रल लाने की तैयारी पर परीक्षण किया जा रहा है। मुंबई, उत्तराखंड से आने वाली ट्रेनों को शिकोहाबाद से दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर भेया जा सकता है। कानपुर से कासगंज के बीच की ट्रेनों को मंधना तक चलाए जाने का संभावना है।

Exit mobile version