ब्लिट्ज ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड में पंजीकृत मदरसों में जल्द ही विषय के रूप में संस्कृत भी पढ़ाई जाएगी। उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने बताया कि संस्कृत प्राचीन भाषा है।
बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने यह जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस संबंध में शीघ्र ही बोर्ड और संस्कृत शिक्षा विभाग के मध्य एमओयू हस्ताक्षरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में आधुनिक मदरसों में संस्कृत पढ़ाई जाएगी।
मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कासमी ने कहा कि संस्कृत और अरबी दोनों प्राचीन भाषाएं हैं। यदि मौलवी को संस्कृत आ जाए और पंडितजी को अरबी तो इससे बेहतर क्या होगा। उन्होंने कहा कि मदरसों में संस्कृत विषय को पढ़ाने के संबंध में संस्कृत शिक्षा विभाग से बातचीत चल रही है। प्रयास यह है कि जल्द से जल्द इस बारे में एमओयू हस्ताक्षरित हो जाए।
6 साल पहले उठी थी मदरसों में संस्कृत की मांग
दरअसल, उत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत पढ़ाने की मांग 6 साल पहले मदरसा वेलफेयर सोसाइटी ने उठाई थी। एमडब्ल्यूएस के सदस्यों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर इसकी मांग की थी। सोसाइटी ने पूर्व सीएम को पत्र लिखकर अपील की थी कि सूबे के मदरसों से संस्कृत के शिक्षकों को भी जाए ताकि वहां के सिलेबस में संस्कृत को जोड़ा जा सके, लेकिन इसे अव्यावहारिक बताते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मदरसों में संस्कृत पढ़ाने से इनकार कर दिया था।
416 मदरसों में लागू किया गया एनसीईआरटी पाठ्यक्रम
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि बोर्ड में पंजीकृत सभी 416 मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया गया है। मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे भी इंजीनियर, डॉक्टर, आइएएस, आइपीएस बनें। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के दौरान मदरसों में अध्ययनरत बच्चों को राष्ट्रीय कार्यक्रमों से जोड़ा गया है।