ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सोशल मीडिया और मोबाइल फोन अब संपर्क ही नहीं बल्कि दांपत्य जीवन में कलेश का बड़ा आधार बन कर उभर रहे हैं। जीवन की वास्तविकता पर आभासी दुनियादारी भारी पड़ रही है। गुजरात के अहमदाबाद में इस वर्ष में फैमिली कोर्ट व समाजजन पंचों (नॉटरी के जरिए) तक पहुंचे मामलों ने उपरोक्त तथ्यों की पुष्टि है। इस कोर्ट में 4500 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें 70 प्रतिशत तलाक से संबंंधित हैं। तलाक के 50 प्रतिशत मामलों में पति-पत्नी के बीच झगड़े की मुख्य वजहों में मोबाइल फोन की लत, सोशल मीडिया का इस्तेमाल और रोल्स के लिए वीडियो बनाना शामिल है। इसके अलावा प्रेम विवाह और संयुक्त परिवार से अलग रहना भी ऐसे हालात के पैदा होने की बड़ी वजह मानी जा रही है।
लगाव जैसा कुछ नहीं, खत्म हो रही सहनशक्ति
फैमिली कोर्ट बार एसोसिएशन, अहमदाबाद के प्रमुख हरनीश राव बताते हैं कि पति-पत्नी के बीच भावनात्मक रूखेपन जैसे चिंताजनक हालात दिखाई देते हैं। पति-पत्नी के बीच लगाव जैसा कुछ नहीं बचा है। इससे सहनशक्ति खत्म हो रही है। इस कारण छोटी-छोटी सामान्य बातें भी विवाह खत्म करने की नौबत ला रही हैं
पत्नी का यू-ट्यूब चैनल, उसे वीडियो बनाने की लत
फैमिली कोर्ट पहुंचे एक युवक ने बताया कि पत्नी का यू-ट्यूब पर चैनल है। इसके लिए पत्नी वीडियो बनाती रहती थी। पूरा-पूरा दिन इसी काम में लगी रहती है। उसे वीडियो बनाने की गंभीर लत हो गई थी। समझाइश में विफलता के बाद अब फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए गुहार लगाई है।
चैटिंग में मगन रहती पत्नी, कोर्ट के जरिए मांगा तलाक
मंजूर वरिष्ठ एडवोकेट अयाज शेख ने व्यथा के साथ आए एक युवक का किस्सा साझा किया। उसकी पत्नी दो से अधिक युवकों के साथ चैटिंग करती थी। पता चलते पर दंपती में बहस के साथ झगड़े शुरू हुए। अंततः पति ने फैमिली कोर्ट की शरण ली-जहां से तलाक मंजूर हो गया।