ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। भारत ने एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन बनाई है। यह अपने आप में विशाल वेधशाला है। ‘मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट’ (एमएसीई) नाम की दूरबीन का लद्दाख के हानले में उद्घाटन किया गया। इससे खगोलीय अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।
परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव अजीत कुमार मोहंती ने सामूहिक प्रयास से दूरबीन निर्माण की सराहना करते हुए कहा, देश के लिए यह महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे ब्रह्मांडीय-किरण अनुसंधान में मदद मिलेगी। यह उच्च ऊर्जा वाली गामा किरणों के अध्ययन में मददगार होगी। इससे ब्रह्मांड की सर्वाधिक ऊर्जा वाली घटनाओं को समझने का मार्ग प्रशस्त होगा। मोहंती का कहना है कि एमएसीई परियोजना न सिर्फ अनुसंधान की दिशा में अहम है, बल्कि लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी मददगार होगी।
4,300 मीटर की ऊंचाई पर किया स्थापित
मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआइएल) और अन्य साझेदारों के सहयोग से पूरी तरह स्वदेशी दूरबीन का निर्माण किया। इसे हानले में 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया। यह दुनिया की सबसे ऊंची दूरबीन भी है। परमाणु ऊर्जा विभाग की 70वीं वर्षगांठ के समारोह में एमएसीई वेधशाला का उद्घाटन किया गया।
भारतीय खगोल भौतिकी को नए आयाम
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के मुताबिक यह दूरबीन भारतीय खगोल भौतिकी को नए आयाम देगी। इससे सुपरनोवा, ब्लैक होल और गामा-रे विस्फोटों को समझने के वैश्विक प्रयासों में योगदान मिलेगा। यह वैश्विक वेधशालाओं का पूरक भी होगी। इससे मल्टीमैसेंजर खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भारत को मजबूती मिलेगी।