सिंधु झा
भारत आगामी समय में विमान वाहक जहाजों का विनाश करने वाली लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइल के परीक्षण की तैयारी कर रहा है। 1500 किलोमीटर तक मार करने वाली यह मिसाइल तटीय और खुले समुद्र के थिएटरों में समुद्री सुरक्षा के लिए भारत के शस्त्रागार में एक शक्तिशाली उपकरण बनने जा रही है। यह अत्याधुनिक मिसाइल अन्य एंटी-शिप मिसाइलों से अलग है। इसे दुश्मन के युद्धपोतों या विमान वाहक जहाजों को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि यह भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।
जानकारों के मुताबिक पिछले वर्ष इस घातक मिसाइल का परीक्षण किया गया था ताकि इसके प्रदर्शन क्षमता का आकलन किया जा सके। सबसे पहले इसकी तैनाती तटीय रक्षा बैटरियों के साथ होगी, यह मिसाइल की क्षमता को देखते हुए एक रणनीतिक निर्णय है, जो कि पहली पंक्ति के प्रतिरोध के रूप में कार्य करेगा । तटीय क्षेत्रों का अत्यधिक रणनीतिक महत्व है, जहां महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अवसंरचना, महत्वपूर्ण बंदरगाह और आर्थिक संपत्तियां हैं। इन क्षेत्रों को संभावित समुद्री खतरों से बचाना भारत के रक्षा बलों की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
मिसाइल की 1500 किलोमीटर की रेंज भारत के समुद्र तट के चारों ओर एक रक्षात्मक बफर ज़ोन बनाएगी जिससे यह दुश्मन के जहाजों को निशाना बना सकती है और दुश्मनों के जहाजों को भारतीय समुद्री सीमा में पहुंचने से पहले ही रोक सकती है। यह लंबी दूरी की क्षमता उन संभावित खतरों को रोकने और बेअसर करने में सहायक होगी जो भारत की क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डाल सकते हैं या इसके रणनीतिक हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। तटीय रक्षा भूमिका के अलावा, मिसाइल को भारतीय नौसेना के अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों पर तैनात किया जायेगा, जिससे उनकी आक्रामक पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इस मिसाइल प्रणाली से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी वृद्धि होने की बात कही जा रही है।
यह मिसाइल, भारतीय युद्धपोतों को दोनों ही रक्षात्मक और आक्रामक कार्रवाइयों के लिए बेहतर ढंग से लैस करेगी जिससे दुश्मन के बेड़े को भारतीय जल या नौसेना की संपत्तियों को खतरा पैदा करने से पहले ही निशाना बनाया जा सके। यह मिसाइल हिंद महासागर में देश की समुद्री सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करेगी।
लंबी दूरी की इस मिसाइल को भारत की सामरिक रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है, जो तटीय और समुद्री रक्षा संचालन, दोनों को बढ़ाएगी। मिसाइल की दुर्जेय रेंज, सटीक निशाना और लचीलापन इसे तटीय और समुद्री क्षेत्रों को सुरक्षित करने के भारत के प्रयासों का आधार बनाएगी। भारत के रक्षा तंत्र में यह मिसाइल समुद्री सुरक्षा में देश की क्षमताओं को फिर से परिभाषित कर सकती है।