ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ऊर्जा से भरपूर देश की युवा आबादी के एक बड़े हिस्से के पास न तो कोई काम है और न ही वह खुद को निखारने का काम कर रहे हैं। सांख्यिकी मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 15-29 आयु वर्ग में 46 फीसदी महिलाओं के पास कोई काम नहीं है। वो कुछ ऐसा कर भी नहीं रहीं, जिससे हुनरमंद या आत्मनिर्भर बन सकें। इसी आयुवर्ग में आठ फीसदी पुरुषों का भी यही हाल है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से वार्षिक माड्यूलर सर्वेक्षण 2022- 23 की जारी रिपोर्ट के अनुसार 15- 29 आयु वर्ग में 44.6 फीसदी महिलाएं किसी भी उत्पादक गतिविधि में शामिल नहीं हैं। वे न तो पढ़ रही हैं, न रोजगार में हैं और न ही कोई प्रशिक्षण ले रही हैं। रिपोर्ट हाल ही में जारी हुई थी।
आठ करोड़ से अधिक युवतियां खाली
यह आंकड़ा इसलिए ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि 15-29 वर्ष का आयु वर्ग ऐसा है जिसमें भारत में सबसे ज्यादा युवा हैं। एक अनुमान के अनुसार करीब 38 करोड़ की आबादी इस उम्र वर्ग में है जिनमें 48 फीसदी आबादी महिलाओं की मानें तो 18.5 करोड़ आबादी युवतियों की है। यानी 18.5 करोड़ युवतियों में से 44.6 फीसदी खाली या प्रशिक्षण से दूर हैं। इसका मतलब आठ करोड़ से भी अधिक युवतियां कुछ भी ऐसा नहीं कर रही हैं, जो अर्थव्यवस्था को मजबूती देता हो। यह संख्या जर्मनी की आबादी के बराबर है। इसी वर्ग में ऐसे सिर्फ आठ फीसदी युवा हैं जो शिक्षा, रोजगार, प्रशिक्षण में से किसी एक गतिविधि में शामिल नहीं हैं।
शहर-गांव में हालात एक जैसे
शहर हो या गांव, महिलाओं की स्थिति एक समान है। ग्रामीण क्षेत्र में 8.4 फीसदी युवा और 46.6 फीसदी युवतियां उपरोक्त तीन में से किसी एक गतिविधि में शामिल नहीं हैं। शहरी क्षेत्रों में ऐसे युवा 7.1 फीसदी और युवतियां 39.8 फीसदी हैं।
-रिपोर्ट 15 से 29 आयु वर्ग के डाटा पर आधारित
– 08 फीसदी पुरुष युवा उत्पादक गतिविधि में शामिल नहीं
– 15-29 आयु वर्ग में भारत में सबसे ज्यादा युवा, इस वर्ग में 38 करोड़ की आबादी
राष्ट्रीय स्तर पर एक चौथाई पीछे
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट युवा महिलाओं में बेरोजगारी की समस्या को तो प्रदर्शित करती ही है, साथ ही यह भी दिखाती है कि वे शिक्षा और प्रशिक्षण लेने में भी पीछे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 15-29 वर्ष के आयु वर्ग को देखें तो 25.6 फीसदी लोग पढ़ाई, प्रशिक्षण और रोजगार से दूर मिले। हालांकि, इसमें भी बड़ा हिस्सा महिलाओं का ही है।
शिक्षा में भेदभाव का असर साफ दिखाई दे रहा है
विशेषज्ञों के अनुसार यह रिपोर्ट इस बात की जानकारी देती है कि अब भी शिक्षा में महिलाओं के साथ भेदभाव की खाई गहरी है। यदि वे शिक्षित नही होंगी तो उसके अगले चरणों- प्रशिक्षण और रोजगार में भी वे पीछे ही रहेंगी। आठ और 44 फीसदी की यह खाई तो यही दर्शाती है।