ब्लिट्ज ब्यूरो
इंफाल। भांग और बांस के कपड़े पुरानी बात हो चली है। अब कमल के फूल के रेशों से भी कपड़े बन रहे हैं। मणिपुर के दूर-दराज के गांव में 30 साल की बिजयाशांति टोंगबरम इनसे स्कार्फ, शॉल, मफलर और कोट जैसे ड्रेस तैयार कर रही हैं। इससे उन्होंने अपने गांव के 30 से 40 परिवारों को रोजगार दिया है। उनके द्वारा तैयार ड्रेस अमेरिका तक जाती हैं। चीन में उनके तैयार कपड़ों की खूब मांग है। वहां इससे डिजाइनर ड्रेस बनाने की तैयारी चल रही है लेकिन कमल की ड्रेस की सबसे ज्यादा मांग मुंबई और गोवा में है। मीठे पानी की झील लोकटक के किनारे बसे गांव थांग टोंगबरम लेकाई में खिलते कमलों को देखकर बड़ी हुई बिजयाशांति ने 21 साल की उम्र से इसी झील के कमल के रेशे निकालने और इससे कपड़े बनाने की शुरुआत की।
शुरुआत में परिवार के लोगों की मदद से यह काम शुरू किया। पहले इसे आसपास बेचने की कोशिश की। इसके बाद एक कंपनी खोली और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए इसे बेचना शुरू किया। वे बताती हैं कि शुरू में मेरा मकसद सिर्फ इतना था कि कमल के फूल से धागा तैयार कर कपड़े बनाए जाएं। 2015 में जब हमने कोशिश की तो 40 इंच के कमल के तने से 30 इंच लंबा धागा निकालने में सफलता मिली। 2019 से अपनी वेबसाइट और इंस्टाग्राम के जरिए इसे बेचना शुरू किया। बिजयाशांति कहती हैं- हमारे कमल के फूलों के कपड़ों की डिमांड तब तेजी से बढ़नी शुरू हुई जब पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात में इसका जिक्र किया। उसके बाद तो अब इतनी मांग बढ़ गई कि हम उसे पूरा ही नहीं कर पा रहे हैं।
रेशे निकाल तैयार करते हैं शॉल और मफलर
सबसे पहले लोकटक झील से कमल लाया जाता है। उसके तने को अलग-अलग लंबाई में काटकर रखते हैं। कटे हुए तने से लकड़ी के बोर्ड की मदद से फाइबर निकालते हैं। यही फाइबर प्रोसेस होकर धागा बनता है। इस धागे को मणिपुर की पारंपरिक करघे में लगाकर कपड़ा बनाते हैं। बाद में इससे अलग-अलग प्रकार का कपड़ा तैयार होता है।