ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिला न्यायपालिका से भर्ती किए गए हाई कोर्ट के न्यायाधीश, बार से पदोन्नत न्यायाधीशों के समान पेंशन सहित समान लाभ के हकदार होंगे। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पार्दीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति चाहे किसी भी स्रोत से की गई हो, इससे उनकी स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि नियुक्ति के बाद वे बिना किसी भेदभाव के ‘एक समान वर्ग का गठन करते हैं।
न्यायाधीशों के बीच अंतर करना मूल रूप से एकरूपता की भावना के खिलाफ होगा। पीठ ने कहा, ‘हाई कोर्ट संवैधानिक संस्थाएं हैं और उनकी संवैधानिक स्थिति अनुच्छेद 216 द्वारा मान्यता प्राप्त है। नियुक्ति के बाद, हर न्यायाधीश का दर्जा बराबर हो जाता है। एक बार नियुक्ति के बाद, वेतन के भुगतान या अन्य लाभों के लिए न्यायाधीशों के बीच कोई अंतर नहीं किया जा सकता। न्यायिक स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए न्यायाधीशों के लिए वित्तीय स्वतंत्रता एक आवश्यक घटक है।’ सुप्रीम कोर्ट पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के बकाया वेतन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।