ब्लिट्ज ब्यूरो
बाकू। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन ‘कॉप-29’ में भारत ने अमीर देशों से तकीनीक पाबंदी, एकतरफा व्यापार उपाय हटाने की अपील की। प्री 2030 आकांक्षाओं पर वार्षिक उच्च-स्तरीय मंत्रियों की राउंड टेबल में निर्णायक हस्तक्षेप करते हुए भारत ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग व आपसी विश्वास बढ़ाना होगा। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन सचिव व भारतीय प्रतिनिधिमंडल की उप नेता लीना नंदन ने कहा कि 2024 में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान की विश्लेषित रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से 2030 की अवधि में समग्र सीओ 2 उत्सर्जन में कार्बन बजट के शेष का 86 फीसदी उपयोग करने की संभावना है। ऐसे में हमारी चर्चा और विचार-विमर्श निर्णायक रूप से कार्य करने के लिए एक महत्वपूर्ण समय पर हो रहे हैं। लीना ने कहा, एक मजबूत और टिकाऊ भविष्य के निर्माण के लिए अमीर देशों का उत्सर्जन में कटौती करना और 2030 तक शुद्ध- शून्य कार्बन हासिल करने का बीड़ा उठाना बेहद आवश्यक है।
राजनीतिक निर्णयों पर ध्यान केंद्रित करें: यूएन
बाकू में कॉप-29 शिखर सम्मेलन दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर गया है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने कम विवादास्पद मुद्दों के त्वरित समाधान और वैश्विक जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख राजनीतिक निर्णयों पर तत्काल ध्यान देने का आह्वान किया।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के कार्यकारी सचिव ने प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे धोखाधड़ी और अभद्रता छोड़ें और आगे आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों पर काबू पाने के लिए व्यावहारिक समाधानों पर ध्यान केंद्रित करें। स्टील ने सहयोगात्मक प्रगति की जरूरत पर जोर देकर कहा, इस कहा, तरह के दृष्टिकोण से प्रगति पूरी तरह से रुकने का खतरा है।
एकतरफा उपायों पर आपत्ति
भारत ने यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) जैसे एकतरफा व्यापार उपायों पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि गलत ढंग से जलवायु कार्रवाई कार की लागत गरीब देशों पर स्थानांतरित कर दी गई है। भारत ने चेताया, ये उपाय अंतरराष्ट्रीय सहयोग को नुकसान पहुंचाकर विकासशील देशों पर वित्तीय बोझ डालते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गत माह सीबीएएम को एकतरफा-मनमाना बताते हुए कहा था कि ऐसे उपाय भारतीय उद्योगों को नुकसान पहुंचा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में संतुलन बिगाड़ सकते हैं।
जलवायु अनुकूलन के लिए खरबों डॉलर जरूरी
बाकू। भारत की पर्यावरण सचिव ने कहा, स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे व जलवायु अनुकूलन के लिए खरबों डॉलर जरूरी हैं। ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विकासशील देशों द्वारा प्रतिबद्ध कम से कम लागत वाले विकास मार्गों से विचलन को विकसित देशों द्वारा सार्वजनिक वित्त के माध्यम से पूरा किया जाए। नंदन ने कहा, ऐसा न करने से विकासशील देशों में बिना समस्या पैदा किए जलवायु परिवर्तन का असंगत बोझ झेलने वाले लोगों पर अतिरिक्त लागत आती है।
कॉप 29 में उठा दिल्ली के प्रदूषण का मुद्दा
कॉप के दौरान दिल्ली के खतरनाक वायु प्रदूषण का मुद्दा भी उठा और विशेषज्ञों ने कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल वैश्विक कार्रवाई की जरूरत है। ऐसा नहीं किया गया तो लोगों का स्वास्थ्य खतरे में रहेगा। क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा, दिल्ली का एक्यूआई खतरनाक स्तर पर है। कुछ इलाकों में यह 1000 को पार कर गया है
प्रदूषण कई स्रोतों से आ रहा है, जिसमें कार्बन, ओजोन, जैविक अवशेष जलाने और पराली जलाना शामिल हैं। हमें ऐसे समाधान की जरूरत है जो इन सभी से एक साथ निपट सके।